"बहादुर शाह प्रथम": अवतरणों में अंतर
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| image = Bahadur Shah, ca. 1670, Bibliothèque nationale de France, Paris.jpg
| succession =7वें [[मुगल बादशाह]]
| reign = 19 जून 1707
| coronation = 19 जुन 1707 [[दिल्ली]] में
| predecessor= [[मोहम्मद आज़म शाह]] (नाममात्र का)<br />[[औरंगजेब]]
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| spouse = [[नुरुन्निसा बेगम]]
| spouse-type = Consort
| spouses = मिहर परवर बेगम <br /> अमत-उल-हबीब बेगम <br /> रानी छत्तर बाई <br /> एक और पत्नी
| spouses-type =
| issue = [[जहांदार शाह]] <br /> आज़-उद-दीन मिर्जा <br /> अजीम-उश-शान मिर्जा <br /> दौलत-अफज़ा मिर्जा <br /> रफ़ी-उश शान मिर्जा <br /> जहां श़ाह मिर्जा <br /> मोहम्मद हुमायूं मिर्जा <br /> दाहर अफ्रज़ बानो बेगम <br /> एक और बेटा
| full name = साहिब-ए-क़ुरान मुअज्ज़म शाह आलमगीर सानी अबु नासिर सैयद कुतुबबुद्दीन अबुल मुज़फ़्फ़र मुहम्मद मुअज्ज़म शाह आलम बहादुर शाह प्रथम पादशाह गाज़ी (खुल्द मंजिल)
| dynasty = [[
| father =[[औरंगजे़ब]]
| mother = [[नवाब बाई]]
| birth_date = 14
| birth_place =[[बुरहानपुर]], [[
| death_date = {{death date and age|df=yes|1712|2|27|1643|10|14}}
| death_place = [[
| burial_date = 15
| place of burial =
| religion = [[
}}
'''बहादुर शाह प्रथम''' का जन्म 14 अक्तूबर, सन् 1643 ई. में बुरहानपुर, भारत में हुआ था। बहादुर शाह प्रथम दिल्ली का सातवाँ मुग़ल बादशाह (1707-1712 ई.) था। 'शहज़ादा मुअज्ज़म' कहलाने वाले बहादुरशाह, बादशाह औरंगज़ेब का दूसरा पुत्र था। अपने पिता के भाई और प्रतिद्वंद्वी शाहशुजा के साथ बड़े भाई के मिल जाने के बाद शहज़ादा मुअज्ज़म ही औरंगज़ेब के संभावी उत्तराधिकारी बना। बहादुर शाह प्रथम को 'शाहआलम प्रथम' या 'आलमशाह प्रथम' के नाम से भी जाना जाता है।
== क़ाबुल का सूबेदार ==
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==== सबसे वृद्ध मुग़ल शासक ====
अपनी विजय के बाद बहादुर शाह प्रथम ने अपने समर्थकों को नई पदवियाँ तथा ऊचें दर्जे प्रदान किए। मुनीम ख़ाँ को वज़ीर नियुक्त किया गया। औरंगज़ेब के वज़ीर, असद ख़ाँ को 'वकील-ए-मुतलक़' का पद दिया था, तथा उसके बेटे ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ को मीर बख़्शी बनाया गया। बहादुरशाह प्रथम गद्दी पर बैठने वाला सबसे वृद्ध मुग़ल शासक था। जब वह गद्दी पर बैठा, तो उस समय उसकी उम्र 63 वर्ष थी। वह अत्यन्त उदार, आलसी तथा उदासीन व्यक्ति था। इतिहासकार ख़फ़ी ख़ाँ ने कहा है कि, बादशाह राजकीय कार्यों में इतना अधिक लापरवाह था, कि लोग उसे "शाहे बेख़बर" कहने लगे थे। बहादुर शाह प्रथम के शासन काल में दरबार में षड्यन्त्र बढ़ने लगा। बहादु शाह प्रथम शिया था, और उस कारण दरबार में दो दल विकसित हो गए थे-(1.) ईरानी दल (2.) तुरानी दल। ईरानी दल 'शिया मत' को मानने वाले थे, जिसमें असद ख़ाँ तथा उसके बेटे जुल्फिकार ख़ाँ जैसे सरदार थे। तुरानी दल 'सुन्नी मत' के समर्थक थे, जिसमें 'चिनकिलिच ख़ाँ तथा फ़िरोज़ ग़ाज़ीउद्दीन जंग जैसे लोग थे।
==== राजपूतों से सन्धि ====
== सिक्खों से संघर्ष ==
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बहादुर शाह प्रथम के दरबार में 1711 में एक डच प्रतिनिधि शिष्टमण्डल 'जेसुआ केटेलार' के नेतृत्व में गया। इस शिष्टमण्डल का दरबार में स्वागत किया गया। इस स्वागत में एक पुर्तग़ाली स्त्री 'जुलियानी' की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। उसकी इस भूमिका के लिए उसे 'बीबी फिदवा' की उपाधि दी गयी। 26 फ़रवरी, 1712 को बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु हो गयी। मृत्यु के पश्चात् उसके चारों पुत्रों, जहाँदारशाह, अजीमुश्शान, रफ़ीउश्शान और जहानशाह में उत्तराधिकार का युद्ध आरंभ हो गया। फलतः बहादुरशाह का शव एक मास तक दफनाया नहीं जा सका।
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
[[श्रेणी:मुगल बादशाह]]
[[श्रेणी:मुग़ल साम्राज्य]]
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