"आमेर दुर्ग": अवतरणों में अंतर
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वैसे टॉड एवं कन्निंघम, दोनों ने ही अम्बिकेश्वर नामक शिव स्वरूप से इसका नाम व्युत्पन्न माना है। यह अम्बिकेश्वर शिव मूर्ति पुरानी नगरी के मध्य स्थित एक कुण्ड के समीप स्थित है। राजपूताना इतिहास में इसे कभी पुरातनकाल में बहुत से आम के वृक्ष होने के कारण आम्रदाद्री नाम भी मिल था। जगदीश सिंह गहलौत के अनुसार{{cn}} कछवाहों के इतिहास में [[राणा कुम्भ|महाराणा कुम्भ]] के समय के अभिलेख आमेर को आम्रदाद्रि नाम से ही सम्बोधित करते हैं।
ख्यातों में प्राप्त विवरण के अनुसार दूल्हाराय कछवाहा की
==भूगोल==
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