[[Image:Nectar.jpg|thumb|250px|कैमेलिया फूल के पराग]]
पराग पौधे द्वारा संश्लेषित [[शर्करा]] युक्त तरल पदार्थ है.है। सामान्यतः इसका निर्माण [[फूल]] में होता है.है। यह हमिंगबर्ड, तितलियों तथा कई कीट पतंगो का खाद्द्खाद्य पदार्थ है.है। आर्थिक रूप से भी यह महत्वपूर्ण है क्योंकि मधुमक्खियां इसी से [[मधु]] का निर्माण करती हैं.हैं। फूल के अलावा यह पौधे के अन्य भागों जैसे पत्तियों तथा [[फ्लोएम]] [[ऊतक|ऊतकों]] में भी निर्मित होता है.है। कुछ कीट भक्षी [[परजीवी]] पौधे इसका उपयोग कीट पतंगो को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए करते हैं। पराग का उपयोग परागण में होता है। पौधे द्वारा परागण की व्यवस्था इस बात पर निर्भर करती है कि किस तरह से परागन को इस्तेमाल किया जाता है। अधिकांश फूल अपने परागन के तरीके को लेकर मोटे तौर पर दो समूहों में विभाजित किए जा सकते हैं।
''कीटपरागीय'': फूल कीटों, चमगादडों, पक्षियों और जानवरों को आकर्षित करते हैं और एक फूल से दुसरे को पराग स्थान्तरित करने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं.ज्यादातर वे आकारों/रूपों में विशेषज्ञ होते हैं और पुंकेसर की ऐसी व्यवस्था होती है कि यह सुनिश्चित हो जाता है कि पराग के दानें परागन पर स्थानान्तरित हो जायें जब वह अपने आकर्षित वस्तु पर उतरता है( जैसे की मधुरस, पराग, या साथी) कई फूलों की एक ही प्रजाति के इस आकर्षनीय वस्तु को पाने के लिए, परागनकर्ता उन सभी फूलों में पराग को स्टिग्मा में स्थान्तरित कर देता है जो की बिल्कुल सटीक रूप से समान रूप में व्यवस्थित होते हैं। कई फूल परागण के लिए मात्र फूलों के हिस्सों के बीच निकटता पर निर्भर करते हैं ., जैसे ''सारसेनिया या मादा स्लीपर ऑर्किड। ▼
''वातपरागित फूल'': वायु काके इस्तेमालसाथ पराग को एक फूल से अगले फूल तक ले जाने में करतेजाते हैं उदाहरण के लिए [[पोआसीएई|घासें]] ([[:en:Poaceae|grasses]]), संटी वृक्ष, एम्बोर्सिया जाति की रैग घांसघास और एसर जाति के पेड़ और झाडियाँ.झाडियाँ। उन्हें परागनोंपरागण को आकर्षित करने की जरुरत नही पड़ती जिस कारण उनकी प्रवृति 'दिखावटी फूलों' की नही होती. जहाँ कि कीटप्रागीय फूलों के पराग बड़े और लसलसे दानों किके प्रवृतिरूप लिएमें हुए रहतेहोते हैं जो किऔर [[प्रोटीन]] ([[:en:protein|protein]])की में धनीअधिकतावाले होते हैं (परागनकर्ताओं के लिए एक पुरुस्कार),वहीं वातपरागित फूलों के पराग ज्यादातर छोटे दाने लिए हुए रहते हैं, बहुत हल्के और [[कीट|कीटों]] ([[:en:insect|insect]]) के लिए इतने पोषक भी नही . होते। मधुमक्खी और बम्बल मक्खी सक्रिय रूप से वातपरागित पराग कोर्नकणों ([[मक्का (फसल)|मक्के]]) जोको जमा करते हैं हालाँकि ये उनके ज्यादा महत्त्व के नही होते। कुछ फूल स्वपरागित होते . हैं और उन फूलों का इस्तेमाल करते हैं जो कभी नही खिलते, या फूल खिलने से पहले स्वपरागित जो जाते हैं, इन फूलों को क्लीसटोगैमस कहा जाता है कई प्रकार के विओला और सालविया प्रजातियों में इस प्रकार के फूल होते हैं। ▼
पौधे द्वारा परागन की व्यवस्था इस बात पर निर्भर करती है कि किस तरह से परागन को इस्तेमाल किया जाता है। अधिकांश फूल अपने परागन के तरीके को लेकर मोटे तौर पर दो समूहों में विभाजित किए जा सकते हैं।
▲''कीटपरागीय'': फूल कीटों, चमगादडों, पक्षियों और जानवरों को आकर्षित करते हैं और एक फूल से दुसरे को पराग स्थान्तरित करने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं.ज्यादातर वे आकारों/रूपों में विशेषज्ञ होते हैं और पुंकेसर की ऐसी व्यवस्था होती है कि यह सुनिश्चित हो जाता है कि पराग के दानें परागन पर स्थानान्तरित हो जायें जब वह अपने आकर्षित वस्तु पर उतरता है( जैसे की मधुरस, पराग, या साथी) कई फूलों की एक ही प्रजाति के इस आकर्षनीय वस्तु को पाने के लिए, परागनकर्ता उन सभी फूलों में पराग को स्टिग्मा में स्थान्तरित कर देता है जो की बिल्कुल सटीक रूप से समान रूप में व्यवस्थित होते हैं.
कई फूल परागन के लिए मात्र फूलों के हिस्सों के बीच निकटता पर निर्भर/भरोसा करते हैं. अन्य जैसे की ''[[सार्राकीनिया फूल|सारसेनिया]] ([[:en:Sarracenia#Flowers|Sarracenia]])'' या [[लेडी स्लीपर/मादा ऑर्किड की एक जाति/ साईप्रीपीडियम श्रेणी की कोई भी ऑर्किड|मादा स्लीपर ऑर्किड]] ([[:en:Lady's Slipper|lady-slipper orchid]]) के पास ऐ सुनिश्चित ढांचा होता है जो कि [[आत्म परागण//स्वतः परागण|आत्मपरागन]] ([[:en:self-pollination|self-pollination]]) का नीरोध करते हुए परागन को निश्चित करता है.
[[चित्र:Grass Anthers.JPG|left|thumb|<Center>प्रजनन अंग जो कि चारागहीय फाक्सटेल फूल से अलग हो गए हैं.]]
[[चित्र:Flowering Grass.JPG|right|thumb|<Center>एक घासीय फूल का शीर्ष (चारागहीय फॉक्सटेल फूल) सादे/मैदानी रंग के फूलों को दिखाते हुए जो कि बड़े प्रजननीय अंगों को लिए हुए हैं.]]
▲''वातपरागित फूल'': वायु का इस्तेमाल पराग को एक फूल से अगले फूल तक ले जाने में करते हैं उदाहरण के लिए [[पोआसीएई|घासें]] ([[:en:Poaceae|grasses]]), संटी वृक्ष, एम्बोर्सिया जाति की रैग घांस और एसर जाति के पेड़ और झाडियाँ. उन्हें परागनों को आकर्षित करने की जरुरत नही पड़ती जिस कारण उनकी प्रवृति 'दिखावटी फूलों' की नही होती. जहाँ कि कीटप्रागीय फूलों के पराग बड़े और लसलसे दानों कि प्रवृति लिए हुए रहते हैं जो कि [[प्रोटीन]] ([[:en:protein|protein]]) में धनी होते हैं (परागनकर्ताओं के लिए एक पुरुस्कार), वातपरागित फूलों के पराग ज्यादातर छोटे दाने लिए हुए रहते हैं, बहुत हल्के और [[कीट|कीटों]] ([[:en:insect|insect]]) के लिए इतने पोषक भी नही. मधुमक्खी और बम्बल मक्खी सक्रिय रूप से वातपरागित पराग कोर्न ([[मक्का (फसल)|मक्के]]) जो जमा करते हैं हालाँकि ये उनके ज्यादा महत्त्व के नही होते.
कुछ फूल स्वपरागित होते हैं और उन फूलों का इस्तेमाल करते हैं जो कभी नही खिलते, या फूल खिलने से पहले स्वपरागित जो जाते हैं, इन फूलों को क्लीसटोगैमस कहा जाता है कई प्रकार के विओला और सालविया प्रजातियों में इस प्रकार के फूल होते हैं.
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