"लाइसोसोम": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:biological cell.svg|300px|right|thumb|एक आदर्श जन्तु कोशिका के [[कोशिकाद्रव्य]] में विभिन्न कोशिकांगो का चित्र - (1) [[केन्द्रिका]] (2) [[केंद्रक]] (3) [[राइबोसोम]] (छोटे विन्दु) (4) आशय (vesicle) (5) रूखड़ा [[आंतरद्रव्यजालिका]] (6) [[गॉल्जीकाय|गॉल्जीकाय]] (जलकाय) (7) [[कोशिका कंकाल|कोशिकापंजर]] (8) साफ़ [[आंतरद्रव्यजालिका]] (9) [[सूत्रकणिका]] (10) [[रसधानी]] (11) [[कोशिकाद्रव्य]] (12) [[लाइसोसोम|लयनकाय]] (13) तारक केन्द्र (centriole) ]]
 
[[जन्तु]] [[कोशिका]] के [[कोशिका द्रव]] में पाए जाने वाले आवरणयुक्त गोल-गोल थैलीनुमा अंगाणुओं को '''लयनकाय''' (लाइसोसोम) कहते हैं। यह [[अन्तः कोशिकाय पाचन]] में मदद करता है।<ref>{{cite book |last=त्रिपाठी |first=नरेन्द्र नाथ |title= सरल जीवन विज्ञान, भाग-२|year=मार्च २००४ |publisher=शेखर प्रकाशन |location=कोलकाता |id= |page=४-५ |accessday= १७|accessmonth= सितंबर|accessyear= २००९}}</ref>है
 
लाइसोसोम=> क्रिश्चियन डी डूवे ने सर्वप्रथम सन् 1955 में लाइसोसोम की खोज की। ये गोलाकार काय होते हैं, जिनके व्यास 0.4u-0.8u तक होता है। ये इकहरी युनिट मेम्ब्रेन से बने होते हैं तथा इनके अन्दर सघन मैट्रिक्स भरा रहता है, जिसमें ऐसिड फास्फेटेज एन्जाइम भरे रहते हैं।