कुल्लू से 1४18 किलोमीटर दूर पहाडी पर बना यह मंदिर यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल है। मंदिर तक पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई चढ़नी होती है। यहां का मुख्य आकर्षण 100 मी. लंबी ध्वज़(छड़ी) है। इसे देखकर ऐसा ल्रगता है मानो यह सूरज को भेद रही हो। इस ध्वज़ (छड़ी) के बारे में कहा जाता है बिजली कड़कने पर इसमें जो तरंगे उठती है वे भगवान का आशीर्वाद होता है। इस ध्वज पर लग़भग हर साल बिजली गिरती है। कभी-कभी मंदिर के अन्दर शिवलिन्ग पर भी बिजली गिरती है जिस से शिवलिन्ग खऩ्डित हो जाता है। पुजारी खऩ्डित शिवलिन्ग को मक्खन से जोडता है जिस से शिवलिन्ग फिर सामान्य हो जाता है। इस मंदिर से कुल्लू और पार्वती घाटी का खुबसूरत नजारा देखा जा सकता है।