"वराहावतार": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन
No edit summary
पंक्ति 55:
[[File:Boar-carving_Udaigiri_Vidisha.jpg|left|thumb|300px|[[उदयगिरि]] की गुफा, [[विदिष]] [[गुप्त साम्राज्य]] की प्राचीन राजधानी से मिला शिलाचित्र, भगवान वाराह भू देवी को दाँतों पर रखे हुए। एक प्रचीन शिलाचित्र जिसे पत्थर को काटकर अद्वितीय नक्काशीदार मुर्तिकला से बनाया गया था।]]
 
हिरण्याक्ष के इन वचनों को सुन कर वाराह भगवान को बहुरबहुत क्रोध आया किन्तु पृथ्वी को वहाँ छोड़ कर युद्ध करना उन्होंने उचित नहीं समझा और उनके कटु वचनों को सहन करते हुये वे गजराज के समान शीघ्र ही जल के बाहर आ गये। उनका पीछा करते हुये हिरण्याक्ष भी बाहर आया और कहने लगा, "रे कायर! तुझे भागने में लज्जा नहीं आती? आकर मुझसे युद्ध कर।" पृथ्वी को जल पर उचित स्थान पर रखकर और अपना उचित आधार प्रदान कर भगवान वाराह दैत्य की ओर मुड़े और कहा, "अरे ग्राम सिंह (कुत्ते)! हम तो जंगली पशु हैं और तुम जैसे ग्राम सिंहों को ही ढूँढते रहते हैं। अब तेरी मृत्यु सिर पर नाच रही है।" उनके इन व्यंग वचनों को सुनकर हिरण्याक्ष उन पर झपट पड़ा। भगवान वाराह और हिरण्याक्ष मे मध्य भयंकर युद्ध हुआ और अन्त में हिरण्याक्ष का भगवान वाराह के हाथों वध हो गया।
 
[[File:Varaha Khajuraho.jpg|thumb|left|300px|पशु रूप में वाराह, [[खजुराहो]]।]]