"जेफ्री चासर": अवतरणों में अंतर

चौसर
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== परिचय ==
जेफ्री चौसरचासर का जन्म लंदन में सन् १३४० ई. के लगभग हुआ था। पिता शराब के व्यापारी थे। १७ वर्ष की अवस्था में इन्होंने इंग्लैंड के राजा एडवर्ड तृतीय के पुत्र अल्स्टर के अर्ल के परिवार में नौकरी कर ली। इस प्रकार इन्हें राजदरबार के तौर तरीकों की अच्छी जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिला जिसका उपयोग इन्होंने अपनी कविता में किया। राजपरिवार की नौकरी ने इनकी साहित्यिक प्रतिभा के विकास के कुछ और भी अवसर दिए। दो वर्ष बाद इन्हें शतवर्षीय युद्ध के संबंध में फ्रांस जाना पड़ा जहां इन्होंने कुछ दिन फ्रांसीसी शत्रुओं की कैद में बिताए। यह यात्रा इनके साहित्यिक जीवन में बड़ी ही महत्वपूर्ण सिद्ध हुई। इस समय की फ्रांसीसी कविता में कृत्रिमता का दोष होते हुए भी उसमें सौंदर्य और कलात्मकता के गुण भी थे। चौसरचासर ने अपना साहित्यिक जीवन तत्कालीन फ्रांसीसी कविता को व्यापक रूप से प्रभावित करने वाली रचना 'रोमां डे ला रोज' के अनुवाद से किया। फ्रांसीसी कविता का और विशेषतया इस काव्यग्रंथ का अमिट प्रभाव उनकी प्रारंभिक रचनाओं पर नहीं वरन् जीवन का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करनेवाली अंतिम और सर्वोत्तम रचना 'कैंटरबरी टेल्स' पर भी देखने को मिलता है।
 
राजदरबार में चौसरचासर को अपनी कार्यकुशलता के फलस्वरूप पर्याप्त ख्याति प्राप्त हो चुकी थी। सन् १३७२ ई. के करीब इन्हें कुछ महत्व पूर्ण व्यापारिक मंत्रणा के लिये इटली भेजा गया। छ: साल बाद इन्होंने इटली की दूसरी बार यात्रा की। इटली की यात्रा ने इनके साहित्यिक जीवन को नया मोड़ दिया। इसी के फलस्वरूप ये फ्रांसीसी प्रभाव से मुक्त हो सके। अब इनकी प्रेरणा के स्रोत इटली के प्रसिद्ध कवि और कथाकार दांते, पेत्रार्क तथा बोकेशियो हो गए थे। इनपर सबसे अधि प्रभाव बोकेशियो का पड़ा। 'ट्रायलस और क्रेसिड' के दु:खांत कहानी चौसरचासर ने बोकेशियो से ही ली।
 
चौसरचासर की अंतिम और सर्वोत्तम रचना कैंटरबरी टेल्स में हम उनके स्वतंत्र व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति पाते हैं। इस ग्रंथ की रचना के समय तक उन्होंने फ्रांसीसी तथा इटालियन साहित्यिक प्रभावों को पूर्णतया आत्मसात् कर लिया था। कैंटरबरी टेल्स में चौसरचासर किसी विदेशी साहित्यिक शैली का अनुसरण न कर जीवन के अपने अनुभव तथा व्यापक अध्ययन के आधार पर मौलिक रचना प्रस्तुत करते हैं।
 
स्त्रियों तथा वैवाहिक जीवन के संबंध में इन्होंने सामान्यतया व्यंग्यात्मक ढंग से लिखा है। संभव है ऐसा इन्होंने केवल विनोद के लिये किया हो। इनकी पत्नी का नाम फिलिप्पा था। सन् १४०० ई. में चौसरचासर की मृत्यु हुई।
 
चौसरचासुर के जीवनकाल में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ हुई। सबसे महत्वपूर्ण इंग्लैंड और फ्रांस के बीच लगभग सौ वर्ष तक चलनेवाला युद्ध ही था जिसमें इन्होंने स्वयं भाग लिया था। लेकिन इनकी कविता में न इस युद्ध का उल्लेख है और न शत्रुओं के विरुद्ध दुर्भावना की अभिव्यक्ति। इसी समय किसानों का विद्रोह तथा विनाशकारी प्लेग जैसी ऐतिहासिक महत्व की घटनाएँ हुई। लेकिन इनका भी कोई जिक्र इनकी रचनाओं में नहीं मिलता। फिर भी कैंटरबरी टेल्स में न केवल इंग्लैंड के तत्कालीन सामाजिक जीवन की, यूरोपीय जीवन में हो रहे महत्वपूर्ण परिवर्तनों की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। इस समय तक रोम के चर्च में व्याप्त भ्रष्टाचारों की ओर लोगों का ध्यान जाने लगा था। यत्रतत्र पादरियों की चारित्रिक त्रुटियां की खरी आलोचना भी होने लगी थी। धर्म द्वारा व्यापक रूप से प्रभावित यूरोपीय विचारधारा में यह महान परिवर्तन का लक्षण था जिसे हम कैंटरबरी टेल्स में भी देखते हैं। साथ ही साथ लोगों का ध्यान अब पारलौकिक बातों से हटकर भौतिक जगत् की समस्याओं तथा दैनिक जीवन के सुख दु:ख की ओर जाने लगा। यूरोपीय जीवनदर्शन की यह महत्वपूर्ण प्रवृत्ति भी कैंटरबरी टेल्स तथा चौसरचासर की अन्य रचनाओं में परिलक्षित होती है। मध्ययुगीन साहित्य अधिकांशत: कल्पनाप्रधान था या अध्यात्म तथा नैतिकता की शिक्षा देने का माध्यम मात्र। चासर ने उसे वर्ग तथा नैतिकता के आग्रह से मुक्त कर स्वतंत्र अस्तित्व दिया। साहित्य रचना में उनका उद्देश्य प्रधानत: जीवन के प्रति अपनी व्यक्तिगत अनुभतियों की मनोरंजक अभिव्यक्ति था। चौसरचासर के साहित्य की ये सारी विशेषताएँ लगभग दो सौ वर्ष बाद एलिजाबेथ कालीन साहित्य में अपने पूरे निखार के साथ देखने को मिलती हैं। इस प्रकार हम उन्हें यूरोपीय पुनर्जागरण का आद्य अंग्रेजी कवि कह सकते हैं।
 
जैसा कहा जा चुका है, चौसरचासर ने अपना साहित्यिक जीवन 'रोमाँ डे ला रोज़' के अनुवाद से प्रारंभ किया। रूपक शैलो में प्रेम की व्याख्या प्रस्तुत करनेवाला वह काव्य भिन्न ही नहीं अपितु परस्पर विरोधी प्रकृति के दो फ्रांसीसी कवियों की कृति है। स्वप्न में एक प्रेमी एक सुंदर उद्यान में प्रेम के पुष्प को तोड़ने का प्रयत्न करता है। प्रारंभिक भाग प्रेम का बड़ा ही शिष्ट, सुंदर एवं प्रभावोत्पादक चित्र प्रस्तुत करता है लेकिन बादवाले भाग में दूसरे कवियों ने स्त्रियों तथा प्रेम के वर्णन में ध्यंग्यात्मक शैली अपनाई है। चौसरचासर की कई रचनाओं में हम फ्रांसीसी काव्य का प्रभाव देखते हैं। 'बुक आँव डचेज़' 'हाउस ऑव फेम' तथा 'पार्लमेंट ऑव फाउल्स' रूपक शैली में हैं। तीनों में वर्णित घटनाएँ स्वप्न में देखी प्रतीत होती हैं। बुक ऑव डचेज तथा पार्लमेंट ऑव फाउल्स में कवि दरबारी परंपरा के अनुसार प्रेम की व्याख्या प्रस्तुत करता है। प्रेम का ऐसा ही आदर्श चित्रण हम रों डे ला रोज में भी पाते हैं।
 
'ट्रायल्स ऐंड क्रेसिड' की कहानी बोकेशियो से ली हुई है। यह दु:खांत काव्य चासर के ऊपर पड़े इटालीय प्रभाव की पुष्टि करता है। ट्रायलस निराश प्रेमी है जिसकी प्रेमिका क्रेसिड उससे अलग हो जाने पर एक अन्य पुरुष का वरण कर लेती है।
 
चौसरचासर ने 'लीजेंड ऑव गुड विमेन' की रचना जैसा उसने स्वयं इसकी प्रस्तावना में कहा है, रानी के यह शिकायत करने पर की कि उसने 'क्रेसिड के चरित्र द्वारा पूरी स्त्री जाति पर अविश्वसनीय होने पर आरोप लगाया था। इस अधूरी पुसतक में लगभग दस ऐतिहासिक तथा पौराणिक ख्यातिप्राप्त नारियों का प्रशंसात्मक जीवनवृत्तांत है।
 
चौसरचासर की अंतिम और सर्वश्रेष्ठ रचना 'कैंटरबरी टेल्स' है। अंग्रेजी समाज के विभिन्न स्तरों तथा पेशों का प्रतिनिधित्व करनेवाले लगभग तीस तीर्थयात्री जो कैंटरबरी नगर में टामस बेकेट की समाधि पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने जानेवाले हैं एक सराय में इकट्ठा होते हैं। रास्ते की थकान न खले और सबका मनोरंजन हो, इस विचार से सराय के स्वामी के सुझाव पर यह तय होता है कि प्रत्येक यात्री चार कहानियाँ दो जाते समय और दो लौटती बार कहे। जिसकी कहानियाँ बहुमत द्वारा सर्वोत्तम समझी जाएँ, उसे सब लोग मिलकर उसी सराय में अच्छी दावत दें। 'कैंटरबरी' की कहानियाँ चासर की अपनी रचना न होकर पूरे यूरोपीय उपाख्यान साहित्य से ली हुई हैं। उसकी मैलिकता यात्रियों के चरित्र के सूक्ष्म अध्ययन में देखने को मिलती है। चरित्रचित्रण में उच्च कोटि की पटुता दिखाने के साथ अपने तीस यात्रियों के माध्यम से चासर ने तत्कालीन बृटिश समाज का व्यापक चित्र प्रस्तुत करने में भी प्रशंसनीय सफलता प्राप्त की है। कैंटरबरी टेल्स में हमें युग के सामाजिक जीवन की झाँकी मिलती है।
 
चौसरचासर की एक अन्य विशेषता उसका उन्मुक्त हास्य है। यहाँ वह मानवचरित्र की छोटी बड़ी कमजोरियों पर हँसता है, वहीं उसे मनुष्य मात्र से, उसकी सारी त्रुटियों के बावजूद अपार सहानुभूति भी है। इन्हीं कारणों से उसका साहित्य स्वस्थ तथा आज भी अक्षय प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
 
== बाहरी कड़ियाँ==