"गुरु घासीदास": अवतरणों में अंतर

जैसा कि गुरू घासीदास के परिवार सतनामी ही थे तो उनको दलित कहना गलत ही होगा।
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'''गुरू घासीदास''' (1756 – अंतर्ध्यान अज्ञात) ग्राम गिरौदपुरी तहसिल बलौदाबाजार जिला रायपुर में पिता महंगुदास जी एवं माता अमरौतिन के यहाँ अवतरित हुये थे गुरूजी सतनाम [[सतनाम धर्म]] जिसे आम बोल चाल में [[सतनामी पंथ]] के प्रवर्तक कहा जाता है, गुरूजी भंडारपुरी को अपना धार्मिक स्थल के रूप में संत समाज को प्रमाणित सत्य के शक्ति के साथ दिये वहाँ गुरूजी के पूर्वज आज भी निवासरत है। उन्होंने अपने समय की सामाजिक आर्थिक विषमता, शोषण तथा जातिभेद को समाप्त करके मानव-मानव एक समान का संदेश दिये। और हमारे समाज को नशा मुक्ती करने की कोसीस किया।
 
== जीवनी ==