"सारस (पक्षी)": अवतरणों में अंतर
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'''सारस''' विश्व का सबसे विशाल उड़ने वाला [[पक्षी]] है। इस पक्षी को '''क्रौंच''' के नाम से भी जानते हैं। पूरे विश्व में [[भारतवर्ष]] में इस [[पक्षी]] की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है। सबसे बड़ा पक्षी होने के अतिरिक्त इस [[पक्षी]] की कुछ अन्य विशेषताएं इसे विशेष महत्व देती हैं। [[उत्तर प्रदेश]] के इस राजकीय [[पक्षी]] को मुख्यतः [[गंगा]] के मैदानी भागों और [[भारत]] के उत्तरी और उत्तर पूर्वी और इसी प्रकार के समान जलवायु वाले अन्य भागों में देखा जा सकता है। [[भारत]] में पाये जाने वाला सारस पक्षी यहां के स्थाई प्रवासी होते हैं और एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं।<br />
सारस पक्षी का अपना विशिष्ट सांस्कृतिक महत्व भी है। [[विश्व]] के प्रथम ग्रंथ [[रामायण]] की प्रथम कविता का श्रेय सारस [[पक्षी]] को जाता है। [[रामायण]] का आरंभ एक प्रणयरत सारस-युगल के वर्णन से होता है। प्रातःकाल की बेला में [[वाल्मीकि|महर्षि वाल्मीकि]] इसके द्रष्टा हैं तभी एक आखेटक द्वारा इस जोड़े में से एक की हत्या कर दी जाती है। जोड़े का दूसरा [[पक्षी]] इसके वियोग में प्राण दे देता है। ऋषि उस आखेटक को श्राप देते हैं।<br />
:''मा निषाद प्रतिष्ठांत्वमगमः शाश्वतीः समाः।''
:''यत् क्रौंचमिथुनादेकं वधीः काममोहितम्।।''
अर्थात्, हे निषाद! तुझे निरंतर कभी शांति न मिले। तूने इस क्रौंच के जोड़े में से एक की जो काम से मोहित हो रहा था, बिना किसी अपराध के हत्या कर डाली।
== वर्गीकरण एवं सामान्य विवरण ==
[[चित्र:Sarus Crane I IMG 8631.jpg|thumb|250px|उड़ान]]
लाइनस के द्विपद नाम वर्गीकरण में इसे ग्रस एंटीगोन (Grus antigone) कहते हैं। वर्ग गुइफॉर्मस् (Guiformes) का यह सदस्य श्वेताभ-सलेटी रंग के परों से ढका होता है। कलगी पर की [[त्वचा]] चिकनी हरीतिमा लिए हुए होती है। ऊपरी गर्दन और सिर के हिस्सों पर गहरे लाल रंग की थोड़ी खुरदरी त्वचा होती है। कानों के स्थान पर सलेटी रंग के पर होते हैं। इनका औसत भार ७.३ किलो ग्राम तक होता है। इनकी लंबाई १७६ सेमी. (५.६-६ फीट) तक हो सकती है। इनके पंखो का फैलाव २५० सेमी. (~८.५ फीट) तक होता है। अपने इस विराट व्यक्तित्व के कारण इसको [[धरती]] के सबसे बड़े उड़ने वाले [[पक्षी]] की संज्ञा दी गई है। नर और मादा में ऐसा कोई विभेदी चिह्न दृष्टिगोचर नहीं होता लेकिन जोड़े में मादा को इसके अपेक्षाकृत छोटे [[शरीर]] के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है।
=== वितरण और आवास ===
[[चित्र:Sarus Cranes.jpg|thumb|250px|सारस परिवार]]
पूरे [[विश्व]] में इसकी कुल आठ जातियां पाई जाती हैं। इनमें से चार [[भारत]] में पाई जाती हैं। पांचवी साइबेरियन क्रेन [[भारत]] में से सन् [[२००२]] में ही विलुप्त हो गई। [[भारत]] में सारस पक्षियों की कुल संख्या लगभग ८००० से १०००० तक है। इनका वितरण [[भारत]] के उत्तरी, उत्तर-पूर्वी, उत्तर-पश्चिमी एवं पश्चिमी मैदानो में और [[नेपाल]] के कुछ तराई इलाको में है। विशेषतः गंगीय प्रदेशों के मैदानी भाग इनके प्रिय आवासीय क्षेत्र होते हैं। [[भारत]] में पाए जाने वाले सारस प्रवासी नहीं होते हैं और मुख्यतः स्थाई रूप से एक ही भौगोलिक क्षेत्र में निवास करते हैं। इनके मुख्य निवास स्थान दलदली भूमि, बाढ़ वाले स्थान, [[तालाब]], [[झील]], परती जमीन और मुख्यतः [[धान]] के खेत इत्यादि हैं। ये मुख्यतः २ से ५ तक की संख्या में रहते हैं। अपने घोसले छिछले [[पानी]] के आस-पास में जहां हरे-भरे पौधों (मुख्यतः झाड़ियां और घास) की बहुतायत होती है वहीं बनाना पसंद करते हैं। ये मुख्यतः शाकाहारी होते हैं और कंदो, बीजों और अनाज के दानों को ग्रहण करते हैं। कभी कभी ये कुछ छोटे अकशेरुकी जीवों को भी खाते हैं।
=== प्रजनन ===
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* [http://www.savingcranes.org/ ऑनलाइन सामग्री]
* [http://www.ias.ac.in/resonance/December2009/p1206-1209.pdf सारस पक्षी]
* [http://panchjanya.com/Encyc/2014/3/10/लुप्त-होता-जा-रहा-सारस-पक्षी.aspx?PageType=N लुप्त होता जा रहा सारस पक्षी] (
* [http://hindi.ruvr.ru/2012_09_06/Saiberiya-saras-bharat/ साइबेरियाई सारस : आशा भरी उड़ान, भारत से पहचानऔर पढ़ें: http://hindi.ruvr.ru/2012_09_06/Saiberiya-saras-bharat/] (रेडियो रूस)
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