ई. पू. ५ वीं - ६ वीं सदी में महात्मा बुद्ध के समय विदिशा का विकास चरमोत्कर्षचरमोत्कgood morningर्ष पर था। भारत मध्य में स्थित होने के कारण यह चारों तरफ से अनेक महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्रों को जोड़ता था। जहाँ पुरब की तरफ यह कौशाम्बी, काशी तथा पाटलिपुत्र जैसे नगरों से जुड़ा था, वहीं पश्चिम की ओर से भरुकच्छ (भरुच) व सुर्पारक (सोपारा) जैसे बंदरगाहों से संबद्ध था। दक्षिण की तरफ से यह तत्कालीन प्रतिष्ठित नगर पैठ से जुड़ा था। यहाँ के समृद्ध व्यापारियों ने भी यहाँ के स्तुप व अन्य छोटे- बड़े भवनों के निर्माण में अपना योगदान दिया।