"शिवलिंग": अवतरणों में अंतर

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[[पुराण|पुराणों]] में शिवलिंग को कई अन्य नामो से भी संबोधित किया गया है जैसे : प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, उर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंग।
शिवलिंग मुख्यतः गयारह प्रकार के होते है, जो की प्रथम स्थान पर रूद्र रूपी ज्योतिर्लिंग है, जो की भारत के सभी शक्ति पीठो में पूजा जाता है, इस शिवलिंग का दूसरा एवम जागृत रूप रासमणि शिवलिंग है जो अपने आकर के अनुसार बहुत वजनिय होता है, यह देखने में चाँदी के रंगों में होता है,इसे पानी मे डालकर बाहर निकालधूप करमें रखनेरख केदिये बादजाने से सोने के रंग में तब्दील हो जाता है, यह शिवलिंग को विश्वकर्मा जी ने अपने हाथों से तरासे थे, यह शिवलिंग अनेकों जड़ी बूटियों एवम खाश तरह के धातु से बनाया गया है, यह कोई पथ्थर का शिवलिंग नहीं है लेकिन यह पत्थर से भी ज्यादा कोमल होता है अगर यह गिर जाए तो टूट भी सकता है। इस शिवलिंग पर छोटे छोटे छिद्र भी होते हैजिससे कि सकारात्मक ऊर्जा का गमन होता है, इस शिवलिंग को सोने का रत्न बहुत ही पसंद है, यह शिवलिंग भविष्य की भी सूचना भी देता है, इस शिवलिंग को अंग्रेजों ने 1842 ई0 में 11 पीस में से 8 पीस उज्जैन के महाकाल मंदिर से लूट कर ईस्ट इंडिया कंपनी को बेच दिया था, इस शिवलिंग की खास बात यह है कि इस शिवलिंग के अंदर भगवान शिव के अन्य 11 ज्योतिर्लिंगशिवलिंग एवम त्रिनेत्र का दर्शन भी होती है, जो इस शिवलिंग का सही से जागृत कर के पूजन करते है, उन्हें साक्षात भगवान शिव के दर्शन होता है यह शिवलिंग जिस भी घर मे या किसी व्यक्ति के पास हो तो उसे धन और यश दोनो का भरपूर आनंद भोगता है, और यहां तक की उस व्यक्ति को यमदूत भी उसे नहीनहीं छू सकते। महाकाल मंदिर में प्रत्येक सावन के सोमवारी को इस बचे तीनों शिवलिंग का विधिविधान से पूजन कर के गर्व गृह में रख दिया जाता है, ऐसा कहा जाता है की भगवान विष्णु ने भोलेनाथ के क्रोध को शांत करने के लिए ही विश्वकर्मा जी से शिवलिंग का निर्माण करवा कर इसका पूजन किये थे, ब्रह्म जी के पुत्र दक्ष प्रजापति ने अपने श्राप को खत्म करने के लिये इसी शिवलिंग का पूजन किये थे,और अपने श्राप से मुक्त हुए थे, भगवान राम ने रामेश्वरम में इसी शिवलिंग का पूजा अर्चना किये थे, भगवान राम को बनवास जाने से कुछ दिन पहले यह शिवलिंग नील कमल के तरह नीले पड़ चुके थे, मंदिर परिसर में अगर किसी भी प्रकार का कोई खतरा आता है तो यह तीनों शिवलिंग अपने आप अपने रंग को बदलते है। जिससे कि खतरे को भापकर तालटाल दिया जाता है, इसका प्रमाण 2014 में नेपाल में भूकंप आने के पहले उज्जैन महाकाल मंदिर से अप्रिय घटना घटने की 3 दिन पहले ही खबर आ चुका था।ऐसा माना जाता है कि अगर किसी भी जीव ने अपने हाथों से छू कर इस शिवलिंग का पूजन या दर्शन मात्र से भी सारा पाप ग्रह दोष खत्म हो जाता है।
 
==उत्पत्ति ==