"चरक": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
छो 2409:4042:238C:7FE0:D00C:A140:3C48:A133 (Talk) के संपादनों को हटाकर Sanjeev bot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 9:
चरकसंहिता में पालि साहित्य के कुछ शब्द मिलते हैं, जैसे अवक्रांति, जेंताक (जंताक - विनयपिटक), भंगोदन, खुड्डाक, भूतधात्री (निद्रा के लिये)। इससे चरकसंहिता का उपदेशकाल उपनिषदों के बाद और बुद्ध के पूर्व निश्चित होता है। इसका प्रतिसंस्कार कनिष्क के समय 78 ई. के लगभग हुआ।
[[त्रिपिटक]] के चीनी अनुवाद में कनिष्क के राजवैद्य के रूप में चरक का उल्लेख है। किंतु कनिष्क बौद्ध था और उसका कवि अश्वघोष भी बौद्ध था, पर चरक संहिता में बुद्धमत का जोरदार खंडन मिलता है। अत: चरक और कनिष्क का संबंध संदिग्ध
{{भारतीय विज्ञान}}
|