"कुल्लू": अवतरणों में अंतर

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22 /04 /2018 विशेष
 
'''''हिमाचली परिधानों में शुमारी भुट्टीको विवर्ज के नाम'''''
 
'''''भुट्टीको विवर्ज से मिला है हजारों परिवारों को रोजगार'''''
 
'''''ठाकुर वेद राम के नेक इरादों से आज कुल्लू भुट्टीको विवर्ज की शाल व अन्य उत्पादों ने विदेशों में मचाया धमाल'''''
 
* '''सुभाष ठाकुर /*******''' पर्यटन नगरी से विख्यात जिला कुल्लू की भौगोलिक परिस्थितियां अपने ही अंदाज से खुवसुर्ती की अदाएं सर्दियों से बिखेर कर दुनिया के कौन कौन से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है ! जिला कुल्लू की ऊँची - ऊँची पहाड़ियां वर्फ की सफेद चादर से कई माह तक लिपटी रहती हैं | देश और दुनिया के हर कोने कोने में पर्यटकों को अपनी खूव सुरति का सन्देश दे कर हिमाचल प्रदेश की ओर आकर्षित कर के प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत करने में इन्ह खूबसूरत पहाड़ियों का एहम योग दान रहता है | हिमाचल प्रदेश में आज भी लगभग 80 प्रतिशत लोग गांव में अपना जीवन यापन कर रहे हैं । 60 के दशक तक गांव के लगभग 90 प्रतिशत दूध के लिए गाय खेतों में हल चलाने के लिए बैलों के साथ कम से कम आठ दस यह जानवर और भेड़ बकरियों को जरुर पालते थे क्यों कि भेड़ों की उन से परिवार के वस्त्र बनाये जाते थे ।और खेतों में इन्ह सभी जानवरों के मैल से खेती को खाद के रूप में प्रयोग किया जाता था । घर के अधिकांश सदस्य भेड़ों की ऊन को कातते थे , जिस से परिवारों के सभी सदस्यों के वस्त्रों के लिए रियाछ नामक हथकरघा में ऊनि वस्त्र के लिए पटी की बुनाई की जाती है ! आज ऊनि वस्त्रों की अधिकांश बुनाई रियाछ की जगह खड्डी चुकी है ! आज भी हस्तशिल्प के माध्यम से शाल , पाटू , कोट के लिए पट्टी के साथ साथ अन्य उत्पादों के लिए ऊनि वस्त्र तैयार किये जा रहे हैं ! आधुनिक दौर में भी एक बार फिर से 70 के दशक की तरह हस्तशिल्प से तैयार होने वाले ऊनी परिधानों की मांग बढ़ती जा रही है
प्रदेश के हस्तशिल्प उत्पाद में भुट्टिको विवर्ज दुनिया के कई बड़े शहरों में शुमारी
हिंदुस्तान लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों की गुलामी कर चूका है ! उस दौर में हिमाचल प्रदेश की जमीन पर में दो ऐसे कार्यों का निर्माण हुआ है ! व्रिटिश कम्पनी द्धारा मंडी जिले के बरोट और कुल्लू में सबसे पहली ऐसी दो योजना की नीव रखी गई वः योजना आज तक आज तक निरंतर काम कर रही है
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1914 में जब अंगेजी हुकूमत ने प्रदेश के वेरोजगारों को रोजगार दिलवाने के लिए योजना बनाई तो कुल्लू में दस्तकारी प्रशिक्षण संस्थान खोलकर कुल्लू के वेरोजगारों को 18 महीने का एक कोर्स करवाना शुरू कर दिया। इस दस्तकारी प्रशिक्षण संस्थान के सभी परीक्षार्थियों को वजीफा देने का प्रावधान भी रखा गया था । ताकि वेरोजगार ज्यादा से ज्यादा दस्तकारी प्रशिक्षण संस्थान में यह कोर्स करके अपने भविष्य को इस क्षेत्र के माध्यम को चुने । इस दस्तकारी प्रशिक्षण संस्थान में कुल्लू के लगघाटी के एक छोटे से गांव भुट्टी के स्व राम चंद ठाकुर स्वतंत्र सेनानी भी रह चुके थे | उन्हें इस प्रिशिक्षण संस्थान में अंग्रेजी हुकूमत ने इंस्पेटर के पद पर रखा था ।1940 में इस छोटे से गांव भुट्टी से उस समय 12 वेरोजगार नौजवानों ने इस दस्तकारी प्रशिक्षण संस्थान से 18 महीने का यह कोर्स पूरा होने के बाद जब परीक्षा दी तो इसी भुट्टी गांव के स्व वेद राम ठाकुर ने इस परीक्षा को प्रथम श्रेणी में यह परीक्षा उतीर्ण करके अपने नेक इरादों की पहली सीढ़ी पर कदम रख चुके थे । राम चंद ठाकुर ने 23 रूपये इकठा कर सहकारी सभा किया था गठन
स्व राम चंद ठाकुर ने उस दौरान 23 रूपये इकठा करके एक सहकारी सभा का गठन करके भुट्टी विवर्ज कॉपर्टिव सोसाइटी का शीर्षक दे कर उसे पंजीकृत करवा कर कार्य करना शुरू कर दिया | 1956 तक इस भुट्टी विवर्ज कोआप्रेटिव सोसाइटी की अपनी कोई भी कार्य शाला नहीं थी यह गांव के हथकरघा बुनकरों द्धारा तैयार किया हुआ उत्पाद घर द्धार में जा कर बेचा करते थे । उस समय यह उत्पाद सबसे ज्यादा कुल्ल दशहरे को केंद्रित करके बिक्री किया जाता था । कुल्लू दशहरे में देश के कोने - कोने से आये हुए पर्यटकों को कुल्लू की शाल , मफ़लर ,टोपी मोज़े और जैकेट जो भेड़ की ऊन से हथकरघा बुनकरों द्धारा खड़ी ,ओर रियाछों से तैयार किये जाते थे ! दस्तकारी उत्पाद यह सभी को उस दौर से लेकर आज तक देश और विदेश के सभी पर्यटकों का मन कुछ न कुछ लेने के लिए आज भी शो रूमों के बाहर अपने बाहन को खड़ा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है । यह सब एक ऐसे शक्स की देन है जिसे उद्योग जगत ही नहीं बल्कि इतिहास के पानों में भी लगभग 60 वर्षों से ऐसे अमर व्यक्ति का उलेख हो रहा है । जिन्होंने ने उस जमाने में भी एक बेहतरीन उत्पाद की अपनी"कुल्लू शाल इण्डस्ट्री" में 150 वेरोजगारों को रोजगार दिया हुआ था ।
1956 में स्व वेद राम ठाकुर भुटी वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी के सदस्य बने उसी वर्ष इस सोसाईटी में निर्विरोध से सोसाईटी के अध्यक्ष बनाये गये । स्व ठाकुर वेद राम के अध्यक्ष बनने के बाद भुटीको वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी ने वो मुकाम हासिल किया जिसकी कल्पना शायद अंग्रेजी हुकूमत ने भी नहीं की थी , जिन्होंने ऐसे हथकरघा (दस्तकारी ) उद्योग का प्रशिक्षण संस्थान जब कुल्लू में वहां के वेरोजगारों को रोजगार देने के लिए 1914 में एक संस्थान शुरू किया हुआ था । स्व ठाकुर वेद राम ने अपनी कुल्लू शाल इण्डस्ट्री के सभी 150 बुनकरों को तथा अपनी सारी आमदनी को इस भुटीको वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी को बड़े पैमाने में चलाने के लिए सोसाईटी में जमा कर दी । स्व ठाकुर वेद राम के नेक इरादों ने आज वो मुकाम तो हासिल हुआ है साथ ही साथ हजारों परिवारों के जीवन को रोशन करके आज भी अमर हैं । स्व ठाकुर वेद राम इन्ह परिवारों के साथ साथ कुल्लू वैली के हर समाज के हर वर्ग के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत बन कर बुनकर की देश और दुनिया में हस्त शिल्प की वो पहचान करवा गये जो आने वाले भविष्य में भी उन की यह रौशनी दिन दोगुनी और रात चौगुणी की तरह आगे बढ़ती यह सोसइटी तरकी के हर आयाम छू रही है ।
 
'''सत्य प्रकाश की अध्यक्षता से मिला भारत सरकार के बस्त्र मंत्रालय राष्ट्रीय स्वर्ण पुरस्कार'''
स्व वेद राम ठाकुर का 1971में स्वर्ग वास होने के बाद भुटी वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी के अध्यक्ष उनके सपुत्र ठाकुर सत्य प्रकश को निर्विरोध चुना गया । सत्य प्रकश ठाकुर ने अपने कुशल नेतृत्वा में दस्तकारी शिल्प उद्यमीयों को न केवल उत्कृष्ट उत्पाद के रूप में स्थापित किया बल्कि स्व वेद राम ठाकुर के हर सपनों को चार चाँद लगा दिए । सत्य प्रकाश ठाकुर की बेहतर शिक्षा का ज्ञान इस सोसाईटी के लिए वरदान सावित हुआ सोसासिटी के उत्पाद को किस तरह से देश और दुनिया में इसकी पहचान करवाना यह सत्य प्रकश ठाकुर बखूवी कृतज्ञ हैं । सत्य प्रकश ठाकुर ने जालंधर जैसे बड़े शहर से अपनी पढ़ाई पूरी कर देख चुके थे कि जालंधर जैसे बड़े शहर में पढ़ाई के महत्व का भर पुर समझते हुए कि किस तरह से शिल्प उत्पादों को बड़े शहरों में उतारा जाता है । सत्य प्रकश ठाकुर का स्वभाव सोसाईटी के सभी कर्मचारियों के साथ तो अपने परिवार के सदस्य की तरह तो है ही बल्कि आज पुरे प्रदेश में भी ठाकुर सत्य प्रकाश के नाम को उसी स्वभाव की बदौलत जाना जाता है । 1971 से जब ठाकुर ने सोसाईटी की बागडोर सम्भाली है , तब से लेकर आज तक भुटी वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाइटी ने अपने देश के सभी बड़े शहरों में कई शोरूम स्थापित किये हैं ! बल्कि विदेशों में भी भुटी वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी के द्धारा तैयर किया हुआ बेहतर उत्पाद आज यू एस ए और यू के में भी निर्यात किया जा रहा है । पूर्व के आंकड़ों के मुताविक कुल्लू जिले में लगभग 608 विभिन प्रकार की छोटी बड़ी सहकारी सभा कार्यरत हैं इन में से 131 से अधिक प्राथमिक सहकारी सभाएं 43 से अधिक विपणन सहकारी सभाएं, 35 से अधिक उपभोक्ता भण्डार 19 से अधिक श्रम एवं मजदुर सहकारी सभाएं 3 गृह निर्माण सहकारी सभाएं , 21 ऋण व वचत सहकारी सभाएं , 1 शिखरीय बुनकर सहकारी सभा 13 से अधिक हाइड्रो इलेक्ट्रिक विदीयुत विद्दुत सहकारी सभाएं ,192 अधिक बुनकर सभाए और एक जिला सहकारी संघ ,52 दुग्ध श्बए 47 अन्य प्रकार की सहकारी सभाए भी पंजीकृत थे । इन्ह सभी सहकारी सभाओं के कुल 48283 से अधिक सदस्य्ता हो चुकी है । । लेकिन यह एक मात्र हस्त शिल्प सोसाईटी जिसने भारत सरकार से वर्ष 1993-1994 में भुटिको ने सचमुच में अपनी अभूतपूर्व सफलता के बलबूते से चार चाँद लगा दिए जब हिमाचल प्रदेश की एक मात्र हस्त शिल्प सभा को भारत सरकार के बस्त्र मंत्रालय द्धारा रास्ट्रीय स्वर्ण पुरस्कार से समानित किया गया । यह तब सम्भव हुआ है जब संस्थान के मुख्य की सकारत्मक सोच और समाजिक इरादे समाज के सभी बर्गों को अपना परिवार मान कर चलते हैं । तभी आज सत्य प्रकश ठाकुर की अध्यक्षता में यह भुट्टिको वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी देश और दुनिया में अपनी हस्त शिल्प बेहतरीन उत्पादों के साथ बादशाहत कायम बनाये हुए हैं ।
स्व वेद राम ठाकुर का 1971में स्वर्ग वास होने के बाद भुटी वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी के अध्यक्ष उनके सपुत्र ठाकुर सत्य प्रकश को निर्विरोध चुना गया । सत्य प्रकश ठाकुर ने अपने कुशल नेतृत्वा में दस्तकारी शिल्प उद्यमीयों को न केवल उत्कृष्ट उत्पाद के रूप में स्थापित किया बल्कि स्व वेद राम ठाकुर के हर सपनों को चार चाँद लगा दिए । सत्य प्रकाश ठाकुर की बेहतर शिक्षा का ज्ञान इस सोसाईटी के लिए वरदान सावित हुआ सोसासिटी के उत्पाद को किस तरह से देश और दुनिया में इसकी पहचान करवाना यह सत्य प्रकश ठाकुर बखूवी कृतज्ञ हैं । सत्य प्रकश ठाकुर ने जालंधर जैसे बड़े शहर से अपनी पढ़ाई पूरी कर देख चुके थे कि जालंधर जैसे बड़े शहर में पढ़ाई के महत्व का भर पुर समझते हुए कि किस तरह से शिल्प उत्पादों को बड़े शहरों में उतारा जाता है ।
 
स्व वेद राम ठाकुर का 1971में स्वर्ग वास होने के बाद भुटी वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी के अध्यक्ष उनके सपुत्र ठाकुर सत्य प्रकश को निर्विरोध चुना गया । सत्य प्रकश ठाकुर ने अपने कुशल नेतृत्वा में दस्तकारी शिल्प उद्यमीयों को न केवल उत्कृष्ट उत्पाद के रूप में स्थापित किया बल्कि स्व वेद राम ठाकुर के हर सपनों को चार चाँद लगा दिए । सत्य प्रकाश ठाकुर की बेहतर शिक्षा का ज्ञान इस सोसाईटी के लिए वरदान सावित हुआ सोसासिटी के उत्पाद को किस तरह से देश और दुनिया में इसकी पहचान करवाना यह सत्य प्रकश ठाकुर बखूवी कृतज्ञ हैं । सत्य प्रकश ठाकुर ने जालंधर जैसे बड़े शहर से अपनी पढ़ाई पूरी कर देख चुके थे कि जालंधर जैसे बड़े शहर में पढ़ाई के महत्व का भर पुर समझते हुए कि किस तरह से शिल्प उत्पादों को बड़े शहरों में उतारा जाता है । सत्य प्रकश ठाकुर का स्वभाव सोसाईटी के सभी कर्मचारियों के साथ तो अपने परिवार के सदस्य की तरह तो है ही बल्कि आज पुरे प्रदेश में भी ठाकुर सत्य प्रकाश के नाम को उसी स्वभाव की बदौलत जाना जाता है । 1971 से जब ठाकुर ने सोसाईटी की बागडोर सम्भाली है , तब से लेकर आज तक भुटी वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाइटी ने अपने देश के सभी बड़े शहरों में कई शोरूम स्थापित किये हैं ! बल्कि विदेशों में भी भुटी वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी के द्धारा तैयर किया हुआ बेहतर उत्पाद आज यू एस ए और यू के में भी निर्यात किया जा रहा है । पूर्व के आंकड़ों के मुताविक कुल्लू जिले में लगभग 608 विभिन प्रकार की छोटी बड़ी सहकारी सभा कार्यरत हैं इन में से 131 से अधिक प्राथमिक सहकारी सभाएं 43 से अधिक विपणन सहकारी सभाएं, 35 से अधिक उपभोक्ता भण्डार 19 से अधिक श्रम एवं मजदुर सहकारी सभाएं 3 गृह निर्माण सहकारी सभाएं , 21 ऋण व वचत सहकारी सभाएं , 1 शिखरीय बुनकर सहकारी सभा 13 से अधिक हाइड्रो इलेक्ट्रिक विदीयुत विद्दुत सहकारी सभाएं ,192 अधिक बुनकर सभाए और एक जिला सहकारी संघ ,52 दुग्ध श्बए 47 अन्य प्रकार की सहकारी सभाए भी पंजीकृत थे । इन्ह सभी सहकारी सभाओं के कुल 48283 से अधिक सदस्य्ता हो चुकी है । । लेकिन यह एक मात्र हस्त शिल्प सोसाईटी जिसने भारत सरकार से वर्ष 1993-1994 में भुटिको ने सचमुच में अपनी अभूतपूर्व सफलता के बलबूते से चार चाँद लगा दिए जब हिमाचल प्रदेश की एक मात्र हस्त शिल्प सभा को भारत सरकार के बस्त्र मंत्रालय द्धारा रास्ट्रीय स्वर्ण पुरस्कार से समानित किया गया । यह तब सम्भव हुआ है जब संस्थान के मुख्य की सकारत्मक सोच और समाजिक इरादे समाज के सभी बर्गों को अपना परिवार मान कर चलते हैं । तभी आज सत्य प्रकश ठाकुर की अध्यक्षता में यह भुट्टिको वीवर्ज़ कोआप्रेटिव सोसाईटी देश और दुनिया में अपनी हस्त शिल्प बेहतरीन उत्पादों के साथ बादशाहत कायम बनाये हुए हैं ।
 
प्रदेश को सहकारिता
का जन्मदाता माना जाता है आजादी के बाद प्रदेश के गठन के साथ ही यहां वर्ष 1948 में सहकारिता विभाग की स्थापना कर ली गई थी।विभाग का मुख्य उद्देष्य आम किसानों को सस्ती दरों पर ऋण महुयैा करवाकर साहूकारों के चुंगल से बचना है । ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब लोगों के आथिर्क उत्थान व सशक्तिकरण में यह विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में वर्ष 1956 मंे सहकारी सभाएं अधिनियम बनाया गया और इसके बाद ही कई सहकारी सभाएं अस्तित्व में आ चुकी हैं। ये सभाएं कृषि एवं दुग्ध विपणन, खाद, बीज व कृषि उपकरणों का वितरण, हथकरघा व हस्तशिल्प उत्पादांे का विपणन और अन्य क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रही हैं। कुल्लू
जिला में अभी तक 608 सहकारी सभाएं पंजीकृत हो चुकी हैं। इनमे दुग्ध सहकारी सभाए 87, बुनकर सहकारी सभाएं 199 और मत्स्य पालन सहकारी सभाओं की संख्या 4 है। इनके अलावा भी कई अन्य क्षेत्रों में भी सहकारी सभाए सकिय्र हैं। विभाग ने सहकारी सभाओं में समाज के कमजोर वर्गों को शामिल करने के लिए महत्व पूर्ण कदम उठए हुए हैं ! कुल्लू की कई सहकारी सभाओं ने अंतर्राश्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। इनमें भुट्टी वीवर्स काॅआपरेटिव सोसाइटी (भुट्टीको) और लाहौल पोटेटो सोसाइटी (एलपीएस) प्रमुख हैं। सहकारिता विभाग समय-समय पर सहकारी सभाओं का आॅडिट व निरीक्षण करता रहता है ! शत प्रतिशत महिला सदस्यांे की सहकारी सभाओं से आॅडिट फीस नहीं ली जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ बनाने के लिए उन्हें स्वावलम्बी बनाया जाता है तथा स्वरोजगार प्रदान करने की दिशा में सहकारी सभाएं अहम भूमिका अदा कर रही हैं।
सहकारिता21 अप्रैल को ठाकुर वेद राम की 98वीं जयंती भुट्टिको सभागार में धूमधाम से मनाई गईसहकारिता के युग पुरूष एवं भुट्टिको शॉल की आत्मा ठाकुर वेद राम की 98वीं जयंती भुट्टिको सभागार में धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी राष्ट्रीय सहकारी संघ एन सत्यनाराण मुख्यातिथि रहे जबकि समारोह की अध्यक्षता पूर्व मंत्री एवं भुट्टिको के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ठाकुर ने की। समारोह में ठाकुर वेद राम अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पुरस्कारों से 11 विभूतियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नेपाल की सॉसद एवं नेपाल सहकारिता फैडरैशन की उपाध्यक्षा ओम देवी मल्ला को सहकारिता के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। ओम देवी मल्ला नेपाल में सहकारिता आंदोलन की शिरोमणी मानी जाती है। इस अवसर पर भुट्टिको अध्यक्ष सतय प्रकाश ठाकुर ने बताया कि यह पुरस्कार साहित्य, कला, भाषा संस्कृति, सहकारिता, प्रिंट मीडिया, इलैक्ट्रोनिक मीडिया और बुनकर विधा में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विशिष्ट प्रतिभाओं को प्रदान किए जाते है। समारोह में वर्ष 2017-18 के लिए साहित्य क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए डॉ. हेम राज कौशिक अर्की सोलन को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।
21 अप्रैल को ठाकुर वेद राम की 98वीं जयंती भुट्टिको सभागार में धूमधाम से मनाई गई
 
सहकारिता के युग पुरूष एवं भुट्टिको शॉल की आत्मा ठाकुर वेद राम की 98वीं जयंती भुट्टिको सभागार में धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी राष्ट्रीय सहकारी संघ एन सत्यनाराण मुख्यातिथि रहे जबकि समारोह की अध्यक्षता पूर्व मंत्री एवं भुट्टिको के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ठाकुर ने की। समारोह में ठाकुर वेद राम अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पुरस्कारों से 11 विभूतियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नेपाल की सॉसद एवं नेपाल सहकारिता फैडरैशन की उपाध्यक्षा ओम देवी मल्ला को सहकारिता के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। ओम देवी मल्ला नेपाल में सहकारिता आंदोलन की शिरोमणी मानी जाती है। इस अवसर पर भुट्टिको अध्यक्ष सतय प्रकाश ठाकुर ने बताया कि यह पुरस्कार साहित्य, कला, भाषा संस्कृति, सहकारिता, प्रिंट मीडिया, इलैक्ट्रोनिक मीडिया और बुनकर विधा में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विशिष्ट प्रतिभाओं को प्रदान किए जाते है। समारोह में वर्ष 2017-18 के लिए साहित्य क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए डॉ. हेम राज कौशिक अर्की सोलन को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।
'''सुभाष ठाकुर'''
 
'''अमर ज्वाला '''
 
'''मुख्य सम्पादक'''
 
== पर्यटन स्थल ==