"नागरीप्रचारिणी पत्रिका": अवतरणों में अंतर
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नागरी प्रचारिणी पत्रिका हिंदी की सबसे प्राचीन शोध पत्रिका है। इसका सारे जगत में खोज जगत में मान है। इसका शीर्षक होता था, 'नागरीप्रचारिणी पत्रिका, अर्थात् प्राचीन शोधसम्बन्धी त्रैमासिक पत्रिका'। इस पत्रिका के संपादक मंडल में बाबू [[श्याम सुंदर दास]], [[गौरीशंकर हीराचंद ओझा]], [[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]], [[चंद्रधर शर्मा गुलेरी]], [[जयचंद विद्यालंकार]], [[सम्पूर्णानंद|डॉ. सम्पूर्णानन्द]], [[आचार्य नरेन्द्र देव]], [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] जैसे विद्वान रहे। <ref>[https://www.patrika.com/news/varanasi/great-contribution-of-nagri-pracharini-sabha-for-regeneration-of-hindi-1399026 नौवीं कक्षा के छात्र जिन्होंने रच दिया इतिहास]</ref>
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