"धारिता": अवतरणों में अंतर

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यदि v=1वोल्ट, C=q
तो किसी चालक की वैधुतवैद्युत धारिता चालक को दी गयी आवेश की वह मात्रा है जो चालक के विभव में एक वोल्ट का परिवर्तन कर दे।
 
वैधुत धारिता एक [[अदिश राशि]] है। वैधुत धारिता का मान सदैव धनात्मक होता है। क्योकि चालक पर आवेश तथा इसके कारण विभव में परिवर्तन के चिन्ह सामान होते हैं।
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इसी प्रकार जब हम किसी चालक को आवेश देते है तो चालक के विभव का आंकिक मान बढ़ता है। यदि चालक को आवेश लगातार देते जाये तो चालक स्थतिज ऊर्जा का संचय नहीं कर पता अर्थात वैधुत रोधन क्षमता समाप्त हो जाती है। तथा आवेश लीक होने लगता है। इस स्थिति में विभव का मान अधिकतम होता है। ओर इस प्रकार चालक द्वारा आवेश की एक निश्चित मात्रा का संग्रह ही संभव है।
 
इसी का परोक्ष उदाहरण यह है की जब हम खाली बर्तन को जल में डालते है तो बर्तन में पानी निश्चित मात्रा तक ही बढ़ पता है और पानी तदुपरान्त बर्तन से बाहर आने लगता है। इसे बर्तन की धारिता कहते है।इसे मिलीलीटर, लीटर आदि से व्यक्त करते है।
 
विद्यार्थियों को यह ध्यान देना चाहिये कि जिस परिभाषा से सम्बंधित सूत्र का वह अध्य्यन कर रहे है वह किस प्रकार बना। सूत्र में राशियों को अनुपातिक,व गुणात्मक रूप में क्यों लिखा गया है। इस तरह स्वयं विश्लेशण द्वारा विद्यार्थि अध्य्याय की 60% समस्याओ का निराकरण स्वयं कर सकता है।
 
आवेशित चालक की वैधुत स्थितिज ऊर्जा-
 
==आवेशित चालक की वैधुतवैद्युत स्थितिज ऊर्जा-==
जब किसी चालक को आवेश दिया जाता है तो वह विभाजित रूप में दिया जाता है। अतः चालक पर पूर्व संचित आवेश के कारण बाह्य आवेश देने पर वैधुत प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध कार्य किया जाता है। यही कार्य चालक में वैधुत स्थतिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। जो चालक की स्थतिज ऊर्जा कहलाती है।
माना चालक की धारिता C है प्रारम्भ में चालक पर आवेशq तथा विभवV शून्य है। माना चालक को आवेश विभाजित रूप में दिया जाता है जिससे विभव का मान भी बढ़ता है(qअनुक्रमानुपातीV)। आवेश q देने के साथ व V का मान भी बढ़ता है अतः औसत विभव-
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अतः कम धारिता के चालक की वैधुत स्थतिज ऊर्जा अधिक होगी।
 
==इन्हें भी देखें==
*[[संधारित्र]]
 
[[श्रेणी:विद्युत]]