"ऑपरेशन ब्लू स्टार": अवतरणों में अंतर
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:भिंडरांवाले को जनसमर्थन मिलता देख अकाली दल के नेता भी उनके समर्थन में बयान देने लगे। १९८२ ई. में भिंडरांवाले चौक महता गुरुद्वारा छोड़ पहले स्वर्ण मंदिर परिसर में गुरु नानक निवास और इसके कुछ महीने बाद सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त से अपने विचार व्यक्त करने लगे। अकाली दल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर बनाने के ख़िलाफ़ जुलाई 1982 में अपना 'नहर रोको मोर्चा' छेड़ रखा था जिसके तहत अकाली कार्यकर्ता लगातार गिरफ़्तारियाँ दे रहे थे। इसी बीच स्वर्ण मंदिर परिसर से भिंडरांवाले ने अपने साथी अखिल भारतीय सिख छात्र संघ के प्रमुख अमरीक सिंह की रिहाई के लिए नया अभियान शुरु किया। अकालियों ने अपने मोर्चे का भिंडरांवाले के मोर्चे में विलय कर दिया और धर्म युद्ध मोर्चे के तहत गिरफ़्तारियाँ देने लगे।
:हिंसक घटनाएं और बढ़ीं। पटियाला के पुलिस उपमहानिरीक्षक के दफ़्तर में बम विस्फोट हुआ। पंजाब के उस समय के मुख्यमंत्री दरबारा सिंह पर भी हमला हुआ। अप्रैल १९८३ में पंजाब पुलिस के उपमहानिरीक्षक एएस अटवाल की दिन दहाड़े हरिमंदिर साहब परिसर में गोली मार दी गई। पुलिस का मनोबल गिरता चला गया। कुछ महीने बाद पंजाब रोडवेज़ की एक बस में घुसे बंदूकधारियों ने जालंधर के पास कई हिंदुओं को मार डाला।
:इंदिरा गाँधी सरकार ने पंजाब में दरबारा सिंह की काँग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया और राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। लेकिन पंजाब की स्थिति बिगड़ती गई। मार्च १९८४ तक हिंसक घटनाओं में २९८ लोग मारे जा चुके थे। इंदिरा गाँधी सरकार की अकाली नेताओं के साथ तीन बार बातचीत हुई. आख़िरी चरण की बातचीत फ़रवरी १९८४ में तब टूट गई जब हरियाणा में सिखों के ख़िलाफ़ हिंसा हुई. १ जून को भी स्वर्ण मंदिर परिसर और उसके बाहर तैनात केंद्रीय रिज़र्व आरक्षी बल के बीच गोलीबारी हुई।
1985 ई. में होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले इंदिरा गाँधी इस समस्या को सुलझाना चाहती थीं। अंततः उन्होंने सिक्खों की धार्मिक भावनाएं आहत करने के जोखिम को उठाकर भी इस समस्या का अंत करने का निश्चय किया औ्र सेना को ऑपरेशन ब्लू स्टार करने का आदेश दिया।
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