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[[चित्र:Kushanmap.jpg|thumb|230px|रबातक शिलालेख के अनुसार [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में [[कनिष्क]] का साम्राज्य]]
'''रबातक शिलालेख''' [[अफ़ग़ानिस्तान]] के [[बग़लान प्रान्त]] में सुर्ख़ कोतल के पास स्थित रबातक (<small>{{Nastaliq|ur|رباطک}}, Rabatak</small>) नामक पुरातन स्थल पर एक शिला पर [[बाख़्तरी भाषा]] और [[यूनानी लिपि]] में [[कुषाण वंश]] के प्रसिद्ध सम्राट [[कनिष्क]] के वंश के बारे में एक २३ पंक्तियों का लेख है। यह इतिहासकारों को सन् १९९३ में मिला था और इस से कनिष्क के पूर्वजों के बारे में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी मिलती है। इसमें कनिष्क ने कहा है कि वह एक नाना नमक देवी का वंशज है और उसने अपने साम्राज्य में [[यूनानी भाषा]] को हटाकर आर्य भाषा चला दी है। उसने इसमें अपने पड़-दादा [[कुजुल कडफिसेस]], दादा सद्दाशकन, पिता [[
== इन्हें भी देखें ==
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