"तारागढ़ दुर्ग": अवतरणों में अंतर
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Raymal malik (वार्ता | योगदान) छो बिना इतिहास या तथ्यों की जानकारी के इस किले के तारागढ़ नाम का कारन मंगदनन्त टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
Raymal malik (वार्ता | योगदान) मुग़ल स्थापत्य कला मुगलो के आने के बाद हुई 1500 ईसवी में जबकि इस किले का निर्माण 1100 के राजा अजयराज के समय हुवा 110O से 1500 ईस्वी तक देहली में 4 वंश की सल्तनत आई गुलाम वंश,ख़िलजी वंश,तुगलुक, लोदी,सईद टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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[[चित्र:Bundi palace.jpg|right|thumb|300px|तारागढ़ दुर्ग का दृष्य]]
'''तारागढ का दुर्ग''' [[राजस्थान]] में [[अरावली पर्वत]] पर स्थित है।<ref>{{cite web|title=अजमेर का अभेद दुर्ग है अनूठा तारागढ़|url=http://ajmernama.com/vishesh/70451/|website=अजमेरनामा|publisher=अजमेरनामा|accessdate=24 अगस्त 2017}}</ref> इसे 'राजस्थान का जिब्राल्टर ' भी कहा जाता है। अजमेर शहर के दक्षिण-पश्चिम में ढाई दिन के झौंपडे के पीछे स्थित यह दुर्ग तारागढ की पहाडी पर 700 फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं। इस क़िले का निर्माण 11वीं सदी में सम्राट अजय पाल चौहान ने विदेशी या तुर्को के आक्रमणों से रक्षा हेतु करवाया था। क़िले में एक प्रसिद्ध दरगाह और 7 पानी के झालरे भी बने हुए हैं। बूंदी का किला 1426 फीट ऊचें पर्वत शिखर पर बना है मेवाड़ के एक शासक पृथ्वीराज सिसोदिया ने अपनी पत्नी "तारा" के कहने पर इस का पुनः विकसित किया गया जिसके कारण यह तारागढ़ के नाम से प्रसिद्ध
पहाड़ी की खड़ी ढलान पर बने इस दुर्ग में प्रवेश करने के लिए तीन विशाल द्वार बनाए गए हैं। इन्हें लक्ष्मी पोल, फूटा दरवाजा और गागुड़ी का फाटक के नाम से जाना जाता है। महल के द्वार हाथी पोल पर बनी विशाल हाथियों की जोड़ी है।इस किले के भीतर बने महल अपनी शिल्पकला एंव भित्ति चित्रों के कारण अद्वितिय है। इन महलों में छत्रमहल, अनिरूद्ध महल, रतन महल, बादल महल और फुल महल प्रमुख है।
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