"दादासाहब फालके": अवतरणों में अंतर

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उनमें चलचित्र-निर्माण की ललक इतनी बड़ गई कि उन्होंने चलचित्र-निर्माण संबंधी कई पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया और कैमरा लेकर चित्र खींचना भी शुरु कर दिया।
जब दादासाहब ने चलचित्र-निर्माण में अपना ठोस कदम रखा तो इन्हें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जैसे-तैसे कुछ पैसों की व्यवस्था कर चलचित्र-निर्माण संबंधी उपकरणों को खरीदने के लिए दादासाहब लंदन पहुँचे। वे वहाँ बाइस्कोप सिने साप्ताहिक के संपादक की मदद से कुछ चलचित्र-निर्माण संबंधी उपकरण खरीदे और १९१२ के अप्रैल माह में वापस मुम्बई आ गए<ref>{{cite web|author=Cybertech |url=http://www.nashik.com/halloffame/tribute/phalke.html |title=Hall of Fame : Tribute : Dadasaheb Phalke |publisher=Nashik.com |accessdate=5 January 2012 |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20120125235059/http://nashik.com/halloffame/tribute/phalke.html |archivedate=25 January 2012 |df=dmy }}</ref>। उन्होने दादर में अपना स्टूडियो बनाया और फालके फिल्म के नाम से अपनी संस्था स्थापित की। आठ महीने की कठोर साधना के बाद दादासाहब के द्वारा पहली मूक फिल्म "राजा हरिश्चंन्द्र" का निर्माण हुआ। इस चलचित्र (फिल्म) के निर्माता, लेखक, कैमरामैन इत्यादि सबकुछ दादासाहब ही थे। इस फिल्म में काम करने के लिए कोई स्त्री तैयार नहीं हुई अतः लाचार होकर तारामती की भूमिका के लिए एक पुरुष पात्र ही चुना गया। इस चलचित्र में दादासाहब स्वयं नायक (हरिश्चंन्द्र) बने और रोहिताश्व की भूमिका उनके सात वर्षीय पुत्र भालचन्द्र फालके ने निभाई। यह चलचित्र सर्वप्रथम दिसम्बर १९१२ में कोरोनेशन थिएटर में प्रदर्शित किया गया। इस चलचित्र के बाद दादासाहब ने दो और पौराणिक फिल्में "भस्मासुर मोहिनी" और "सावित्री" बनाई। १९१५ में अपनी इन तीन फिल्मों के साथ दादासाहब विदेश चले गए। लंदन में इन फिल्मों की बहुत प्रशंसा हुई। कोल्हापुर नरेश के आग्रह पर १९३७ में दादासाहब ने अपनी पहली और अंतिम सवाक फिल्म "गंगावतरण" बनाई। दादासाहब ने कुल १२५ फिल्मों का निर्माण किया। १६ फ़रवरी १९४४ को ७४ वर्ष की अवस्था में पवित्र तीर्थस्थली नासिक में भारतीय चलचित्र-जगत का यह अनुपम सूर्य सदा के लिए अस्त हो गया। भारत सरकार उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष चलचित्र-जगत के किसी विशिष्ट व्यक्ति को 'दादा साहब फालके पुरस्कार' प्रदान करती है।<ref>{{cite news| url=http://www.thehindu.com/features/cinema/pran-chosen-for-dada-saheb-phalke-award/article4610293.ece | location=Chennai, India | work=The Hindu | title=Pran chosen for Dada Saheb Phalke award | date=12 April 2013}}</ref>
 
==प्रमुख फिल्में ==
दादासाहब नें १९ साल के लंबे करियर में कुल ९५ फिल्में और २७ लघु फिल्मे बनाईं<ref name="Navbharat Times 2018">{{cite web | title=गूगल डूडल में आज दादसाहब फाल्के को किया जा रहा है याद, जानें क्यों है खास | website=Navbharat Times | date=३० अप्रैल २०१८ | url=https://navbharattimes.indiatimes.com/tech/computer-mobile/google-doodle-celebrates-the-148th-birthday-of-dadasaheb-phalke/articleshow/63966793.cms | language=हिन्दी भाषा | accessdate=३० अप्रैल २०१८}}</ref>।