सुकुल की बीवी भारत के महान कवि एवं रचनाकार सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित एक सामाजिक कहानी है। निराला जी द्वाराइसमें रूढ़िवादिता और प्रेम को बड़े ही मार्मिक रूप में प्रस्तुत किया गया है| इस कहानी मेंइसमें एक ब्राह्मण की अपनी चोटी (धर्म) की प्रति लगाव तथा विधर्मी के प्रति प्रेम के मध्य कशमकश को व्यक्त किया गया है| अंत में प्रेम की ही जीत होती है| यह विधर्मी स्त्री भी ब्राहमण पिता द्वारा माँ को ठुकराए जाने के बाद, सहृदय मुसलमान पुरुष से उत्पन्न पुत्री की कहानी है, जो समयअन्तराल बाद पुनह इसी रूढ़िवादिता की शिकार है| पुस्तक का एक उद्धरण " छोटी बहन, भतीजी, लड़की, भयहू (छोटे भाई की स्त्री) सबके लिए बीबी शब्द आता है| आपकी 'हाँ' किस अर्थ के लिए है?" द्वारा लेखक ने पुरुष मानसिकता को स्त्री के शब्दों में व्यक्त किया है|
" छोटी बहन, भतीजी, लड़की, भयहू (छोटे भाई की स्त्री) सबके लिए बीबी शब्द आता है| आपकी 'हाँ' किस अर्थ के लिए है?" उपरोक्त कथन द्वारा निराला जी ने पुरुष मानसिकता को स्त्री के शब्दों में व्यक्त किया है|