"राजसूय": अवतरणों में अंतर
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इस यज्ञ की विधी यह है की जिस किसी भी राजा को चक्रचती सम्राट बनना होता था वह
जब वह अश्व किसी राज्य से होकर जाता और उस राज्य का राजा उस अश्व को पकड़ लेता था तो उसे उस अश्व के राजा से युद्ध करना होता था और अपनी वीरता प्रदर्शित करनी होती थी और यदि कोई राजा उस अश्व को नहीं पकड़ता था तो इसका अर्थ यह था की वह राजा उस
[[रामायण]] काल में [[श्रीराम]] और [[महाभारत]] काल में महाराज [[युधिष्ठिर]] द्वारा यह यज्ञ किया गया था।
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