"हिन्दू धर्म में गौतम बुद्ध": अवतरणों में अंतर
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बौद्ध मत [[वेद|वेदों]] पर आधारित नहीं है और '[[नास्तिक]]' है, [[आत्मा]] के अस्तित्व को अस्वीकार करता है; अतः हिन्दू दार्शनिकों ने बौद्ध मत को सनातन धर्म के अन्दर 'नास्तिक' मत के रूप में स्वीकार किया है।[[चित्र:Viṣṇu_as_Buddha_making_gesture_of_dharmacakrapravartana_flanked_by_two_disciples.jpg|अंगूठाकार|394x394पिक्सेल|गौतम बुद्ध, विष्णु के अवतार के रूप में]]बुद्ध का उल्लेख सभी प्रमुख [[पुराण|पुराणों]] तथा सभी महत्वपूर्ण हिन्दू ग्रन्थों में हुआ है। किन्तु सभी एक ही 'बुद्ध' के बारे में हों, ऐसा सम्भवतः नहीं है। किन्तु इन ग्रन्थों में से अधिकांश स्पष्टतः बौद्ध मत के प्रवर्तक 'बुद्ध' की ही बात करते हैं। इन ग्रन्थों में मुख्यतः बुद्ध की दो भूमिकाओं का वर्णन है- धर्म की पुनः स्थापना के लिये नास्तिक (अवैदिक) मत का प्रचार तथा पशु-बलि की निन्दा। नीचे उन कुछ पुराणों में बुद्ध के उल्लेख का सन्दर्भ दिया गया है-▼
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[[हरिवंश पर्व]] (1.41)
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