"दिक्सूचक": अवतरणों में अंतर

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दिशा का ज्ञान
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सबसे पहले दिक्सूचक का आविष्कार [[चीन]] के [[हान राजवंश]] ने किया था। यह एक बड़ी चम्मच-जैसी चुम्बकीय वस्तु थी जो काँसे की तस्तरी पर मैग्नेटाइट अयस्क को बिठा कर बनाई गई थी।
 
दिक्सूचक का प्राथमिक कार्य एक निर्देश दिशा की ओर संकेत करना है, जिससे अन्य दिशाएँ ज्ञात की जाती हैं। ज्योतिर्विदों और पर्यवेक्षकों के लिए सामान्य निर्देश दिशा दक्षिण है एवं अन्य व्यक्तियों के लिए निर्देश दिशा उत्तर है। इसकी चुम्बकीय सुई की दिशा हमेशा उत्तर दक्षिण दिशा में होती है
 
== उपयोग=