"रूस का इतिहास": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
Charan Gill (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 25:
[[प्रथम विश्वयुद्ध]] की शुरुआत यूरोप में 1914 में हुई। सेंट पीटर्सबर्ग़ का नाम बदलकर पेत्रोग्राद कर दिया गया। कारण ये था कि पुराना नाम जर्मन लगता था जबकि पेत्रोग्राद पूर्णरूपेण रूसी था - इससे देशभक्ति लाने का अंदेशा था। लेकिन सैन्य विफलताओं तथा खाद्य साधनों की कमी की वजह से मजदूरों तथा सैनिकों में असंतोष फैल गया। फरवरी 1917 में पेत्रोग्राद में विद्रोह हुए जिसके फलस्वरूप ज़ार निकोलस द्वितीय का अपहरण कर लिया गया। इस घटना के साथ ही रूस में पिछले ३०० सालों से चले आ रहे साम्राज्य का अन्त हुआ और साम्यवाद की नींव रख दी गई। हाँलांकि साम्यवादियों को सत्ताधिकार तुरंत नहीं मिला। रूस युद्ध से अलग हो चुका था। इधर निकोलस के परिवार को कैद कर रखा गया और 16-17 जुलाई 1918 की रात को उनकी हत्या कर दी गई।
लगातार निराश हो चुकी रूसी जनता द्वारा बोल्शेविकों को समर्थन मिलने लगा था और इस समर्थन में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही थी। अपने नेता [[व्लादिमीर लेनिन]] के नेतृत्व में बोल्शेविकों में २५ अक्टूबर को सत्ता पर अधिकार कर लिया। इस घटना का विश्व इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यह विश्व में पहली बार किसी साम्यवादी शासन की स्थापना का क्षण था। इस घटना को [[अक्टूबर क्रांति]] के नाम से जाना जाता था। रूस में इस समय तक [[जूलियन कैलेंडर]] का इस्तेमाल होता था जो पुराना था और उसमें सूर्य की परिक्रमा करने में पृथ्वी के द्वारा लगाए गए दिनों का अंशात्मक हिसाब नहीं था। यूरोप के कई देश (जैसे इंग्लैंड) पहले से ही [[ग्रेगोरियन कैलेंडर]] - जो आजकल प्रयुक्त होता है - का प्रयोग शुरु कर चुके थे। इस कैलेंडर में इस दोष का निवारण था: अब तक की गई इन ग़लतियो के एवज में वर्तमान तिथि में १३ दिन और जोड़ देना। इसको अपनाने के बाद २५ अक्टूबर (क्रांति का दिन) ७ नवम्बर को आने लगा। हाँलांकि इस घटना को अक्टूबर क्रांति कहते हैं पर इसे ७ नवम्बर को मनाया जाता है।
रूस के युद्ध से अलग होने के कुछ ही दिनों बाद भयंकर अशांति का माहौल फैल गया। बोल्शेविकों को पेत्रोग्राद तथा मॉस्को में तो बहुत समर्थन मिला पर संपूर्ण देश के परिदृश्य में वे राजनैतिक रूप से बहुत अछूते थे। एक विद्वेषपूर्ण आतरिक युद्ध सी स्थिति पैदा हो गई। बोल्शेविकों द्वारा स्थापित लाल सेना तथा रूस की राजनैतिक तथा सैनिक संस्थाओं द्वारा गठित श्वेत सेना में संघर्ष छिड़ गया। इसके अलावे हरी सेना तथा काली सेना नाम के भी संगठन बने जो इन दोनों के ख़िलाफ़ थे। १९२२ में अंततः लाल सेना की विजय हुई।
|