"नैमिषारण्य": अवतरणों में अंतर

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* '''सूतजी का स्थान'''- एक मंदिर में सूतजी की गद्दी है। वहीं राधा-कृष्ण तथा बलरामजी की मूर्तियां हैं।
 
* यहां स्वामी श्रीनारदनंदजी महाराज का आश्रम तथा एक ब्रह्मचर्याश्रम भी है, जहां ब्रह्मचारी प्राचीन पद्धति से शिक्षा प्राप्त करते हैं। आश्रम में साधक लोग साधना की दृष्टि से रहते हैं। धारणा है कि [[कलियुग]] में समस्त तीर्थ नैमिष क्षेत्र में ही निवास करते हैं।
महाभारत ग्रंथ का कलेवर विस्तार इसी क्षेत्र में हुआ था ।
 
== सन्दर्भ ==