"ऋग्वेद": अवतरणों में अंतर
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* ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें १०२८ सूक्त हैं और कुल १०,५८० ॠचाएँ हैं। इन मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ बड़े हैं।
इस ग्रंथ को इतिहास की दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण रचना माना गया है। इसके श्लोकों का ईरानी [[अवेस्ता]] के गाथाओं के जैसे स्वरों में होना, इसमें कुछ गिने-चुने हिन्दू देवताओं का वर्णन और [[चावल]] जैसे अनाज का न होना इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण विषय
नोट: धर्मसूत्र4प्रमुख जातियों की स्थितियों व्यवसायों दायित्वों कर्तव्यों तथा विशेषाधिकारों में स्पष्ट विभेद करता है वामनावतार केे3पगों के आख्यान का प्राचीनतम स्रोत ऋग्वेद है ऋग्वेद में इन्द्र के लिएए250तथा अग्नि के लिए200ऋचाओं की रचना की गयी है
नोट : प्राचीन इतिहास के साधन के रूप में वैदिक साहित्य में ऋग्वेद के बाद शतपथ ब्राह्मण का स्थान है
== गठन ==
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