"छपरा": अवतरणों में अंतर
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== इतिहास ==
छपरा से चार मील पूरब [[चिरांद]] छपरा में पौराणिक राजा [[मयूरध्वज]] को राजधानी तथा [[च्यवन ऋषि]] का आश्रम बतलाया जाता है। [[चिरांद]], छपरा से ११ किलोमीटर स्थित, [[सारण जिला]] का सबसे महत्वपूर्ण [[पुरातत्व स्थल]] (2000 ईस्वी पूर्व) है। यहाँ पर पुरातत्व विभाग की ओर से खंडहरों की खुदाई हो रही है और कुछ बहुमूल्य ऐतिहासिक तथ्यों के प्राप्त होने की संभावना है। छपरा से 15 मील पूरब गंडक नदी के तट पर [[सोनपुर]] स्थान है जो [[हरिहर क्षेत्र]] के नाम से विख्यात है। यहीं पर गज और ग्राह के पौरणिक युद्ध का होना बतलाया जाता है। यहाँ [[शिव]] और [[विष्णु]] के मंदिर साथ-साथ हैं। कार्तिक पूर्णिमा को सोनपुर का प्रसिद्ध मेला लगता है जो महीनों चलता रहता है। मौर्य शासक अपने हाथी ,घोड़े तक इस मेले से खरीदते थे
18वीं शताब्दी में डच, फ़्रांसीसी, पुर्तग़ाली और अंग्रेजों द्वारा यहाँ [[शोरा]]-परिष्करण इकाइयों की स्थापना के बाद छपरा नदी तट पर स्थित बाज़ार के रूप में विकसित हुआ। 1864 में यहाँ नगरपालिका का गठन हुआ।
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