"देवनागरी": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
अधिकतर भाषाओं की तरह देवनागरी भी बायें से दायें लिखी जाती है। प्रत्येक [[शब्द]] के ऊपर एक [[रेखा]] खिंची होती है (कुछ [[वण|वर्णों]] के ऊपर रेखा नहीं होती है) इसे शिरोरे़खा कहते हैं। इसकादेवनागरी का विकास [[ब्राह्मी लिपि]] से हुआ है। यहदेवनागरी एक [[ध्वन्यात्मक]] [[लिपि]] है जोदेवनागरी प्रचलित लिपियों (रोमन, अरबी, चीनी आदि) में सबसे अधिक वैज्ञानिक है। इससेदेवनागरी से [[वैज्ञानिक]] और व्यापक लिपि शायद केवल [[आइपीए|अध्वव]] लिपि है। भारत की कई लिपियाँ देवनागरी से बहुत अधिक मिलती-जुलती हैं, जैसे- [[बांग्ला]], गुजराती, [[गुरुमुखी]] आदि। कम्प्यूटर प्रोग्रामों की सहायता से भारतीय लिपियों को परस्पर परिवर्तन बहुत आसान हो गया है।
[[चित्र:Varanasi Transparente.png|right|thumb|300px|वाराणसी में देवनागरी लिपि में लिखे विज्ञापन]]
{{ब्राह्मी}}
भारतीय भाषाओं के किसी भी शब्द या ध्वनि को देवनागरी लिपि में ज्यों का त्यों लिखा जा सकता है और फिर लिखे पाठ को लगभग 'हू-ब-हू' [[उच्चार]]ण किया जा सकता है, जो कि [[रोमन लिपि]] और अन्य कई [[लिपि]]यों में सम्भव नहीं है, जब तक कि उनका विशेष मानकीकरण न किया जाये, जैसे [[आइट्रांस]] या [[आइएएसटी]]।
[[चित्र:PublicTransportinMumbaiTicketUsingDevnagari.jpg|thumb|मुम्बई के सार्वजनिक यातायात के टिकट पर देवनागरी]]
इसमेंदेवनागरी कुलमें ५२ अक्षरकुल52अक्षर हैं, जिसमें १४ 14[[स्वर]] और ३८ 38[[व्यंजन वर्ण|व्यंजन]] हैं। अक्षरों की क्रम व्यवस्था (विन्यास) भी बहुत ही वैज्ञानिक है। स्वर-व्यंजन, कोमल-कठोर, [[अल्पप्राण]]-महाप्राण, अनुनासिक्य-अन्तस्थ-उष्म इत्यादि वर्गीकरण भी वैज्ञानिक हैं। एक मत के अनुसार देवनगर (काशी) मे प्रचलन के कारण इसकादेवनागरी का नाम देवनागरी पड़ा।
 
भारत तथा [[एशिया]] की अनेक लिपियों के संकेत देवनागरी से अलग हैं पर [[उच्चारण]] व वर्ण-क्रम आदि देवनागरी के ही समान हैं, क्योंकि वेउच्चारण व वर्णक्रम सभी [[ब्राह्मी लिपि]] से उत्पन्न हुई हैं (उर्दू को छोडकर)। इसलिए इनउच्चारण व वर्णक्रम लिपियों को परस्पर आसानी से [[लिप्यन्तरण|लिप्यन्तरित]] किया जा सकता है। देवनागरी लेखन की दृष्टि से सरल, सौन्दर्य की दृष्टि से सुन्दर और वाचन की दृष्टि से सुपाठ्य है।
 
[[भारतीय अंक|भारतीय अंकों]] को उनकी वैज्ञानिकता के कारण विश्व ने सहर्ष स्वीकार कर लिया है।