"गुणसूत्र": अवतरणों में अंतर

छोNo edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 37:
जंतुओं में पॉलिप्लॉइडी बहुत कम पाई जाती है पर यह अनिषेकजनित (Parthenogenetic) जंतुओं में बहुधा पाई जाती है। पौधों में बहुत सी नई जातियाँ पॉलिप्लॉइड के कारण उत्पन्न हुई होंगी। इसका प्रमाण इससे मिलता है कि ऐंजिऔस्पर्मों (Angiosperms) की लगभग आधी जातियाँ ऐसी है जिनके परिपक्व युग्मकों (Gametes) के गुणसूत्रों की संख्या किसी संबंधित जाति के युग्मकीय गुणसूत्र की संख्या की गुणित है। गेहूँ की कई जातियाँ हैं। इन जातियों की मूल युग्मकीय केंद्रकसुत्र संख्या 7 है। गुणसूत्रों की संख्या गेहूँ की जातियों में 7 की गुणित 14,21,42 तथा 49 तक पाई जाती है। इसी भाँति तंबाकू की भिन्न भिन्न जातियों में गुणसूत्रों की संख्या 12 अथवा 12 की गुणित 24 होती है। पौधों में प्रयोग द्वारा बहुत से पॉलिप्लॉइड बनाए गए हैं, जिनमें एकात्मक सूत्रों के दो कुलक होते हैं। ये उर्वर होते हैं।
 
इसमें संदेह नहीं कि कोशिकाद्रव्य, [[केंद्रक]] के नियंत्रण में कार्यशील होता है। अनेक प्रकार के कोशिकासमूह अन्यान्य कार्यों के संचालन में लगे रहते हैं। उदाहरणत: अग्न्याश (Pancreas) की एक्सोक्राइन (Excorine) कोशिकाएँ विशेष पाचक किण्वज उत्पन्न करती हैं। गुद की नलिका की कोशिकाएँ रुधिर से यूरिया निकाल लेती हैं और यकृत की कोशिकाएँ ग्लूकोस को ग्लाइकोजन में परिणत करके एकमित कर लेती हैं। स्पष्ट है कि किसी भी प्राणी की प्रत्येक कोशिका में उसके सब जीन (Gene) साधारणत: उपस्थित होते हैं। इसलिये भिन्न भिन्न प्रकार की कोशिकाओं के विविध प्रकार के प्रोटीनों (जिनकी वे बनी है) की उत्पत्ति में कुछ उपयुक्त जीन तो सक्रिय रहे होंगे और शेष सब निष्क्रिय हो गए होंगे ओर उनकी सक्रियता के संबंध में भी यही बात होती होगी।Nitin Kumar Meena Mohacha from gangapur city sawaimadhopur rajasthan
 
== इन्हें भी देखें ==