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== आर्यभट का योगदान ==
भारतके इतिहास में जिसे 'गुप्तकाल' या 'सुवर्णयुगस्वर्णयुग' के नाम से जाना जाता है, उस समय भारत ने साहित्य, कला और विज्ञान क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की। उस समय मगध स्थित [[नालन्दा विश्वविद्यालय]] ज्ञानदान का प्रमुख और प्रसिद्ध केंद्र था। देश विदेश से विद्यार्थी ज्ञानार्जन के लिए यहाँ आते थे। वहाँ [[खगोलशास्त्र]] के अध्ययन के लिए एक विशेष विभाग था। एक प्राचीन श्लोक के अनुसार आर्यभट नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति भी थे।
 
आर्यभट का भारत और विश्व के ज्योतिष सिद्धान्त पर बहुत प्रभाव रहा है। भारत में सबसे अधिक प्रभाव [[केरल]] प्रदेश की ज्योतिष परम्परा पर रहा। आर्यभट [[भारतीय गणितज्ञ सूची|भारतीय गणितज्ञों]] में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इन्होंने 120 आर्याछंदों में ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांत और उससे संबंधित गणित को सूत्ररूप में अपने [[आर्यभटीय]] ग्रंथ में लिखा है।