"मिथिला": अवतरणों में अंतर

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== सीमा एवं अन्तर्वर्ती क्षेत्र : प्राचीन उल्लेखों के सन्दर्भ में ==
महाभारत में [[मगध]] के बाद (उत्तर) मिथिला की स्थिति मानी गयी है।<ref name="म" /> [[श्रीकृष्ण]], [[अर्जुन]] तथा [[भीम]] की मगध-यात्रा का वर्णन करते हुए पहले [[सरयू नदी]] पार करके पूर्वी कोशल प्रदेश तथा फिर [[सोन नदी|महाशोण]], [[बूढ़ी गण्डक|गण्डकी]] तथा [[गण्डकी|सदानीरा]] को पार करके मिथिला में जाने का उल्लेख हुआ है। पुनः [[गंगा]] तथा महाशोण को पार करके मगध में जाने की बात कही गयी है।<ref>महाभारत (सटीक), प्रथम खण्ड, सभापर्व-20.27,28, गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण-1996ई०, पृष्ठ-723-724.</ref> इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि उस समय मगध के उत्तर में मिथिला की ही स्थिति मानी गयी है। वज्जि प्रदेश (वैशाली राज्य) मिथिला के अंतर्गत ही समाविष्ट था।<ref name="उ">मिथिलाक इतिहास, डाॅ० उपेन्द्र ठाकुर, मैथिली अकादमी पटना, द्वितीय संस्करण-1992ई०, पृ०-5.</ref> महाभारत के इस उल्लेख में भी मिथिला के सीमा क्षेत्र के बारे में अन्यत्र उल्लिखित पश्चिम में गंडकी तथा दक्षिण में गंगा तक के क्षेत्र यथावत् संकेतित होते हैं।
 
वृहद्विष्णुपुराण में मिथिला की सीमा (चौहद्दी) का स्पष्ट उल्लेख करते हुए कहा गया है कि-
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'''पश्चिम बहथि गंडकी उत्तर हिमवत वन विस्तारा।।'''
 
इस प्रकार उल्लिखित सीमा के अंतर्गत वर्तमान में नेपाल के तराई प्रदेश के साथ बिहार राज्य के [[पश्चिमी चंपारण]], [[पूर्वी चंपारण]], [[शिवहर]], [[सीतामढ़ी]], [[मुजफ्फरपुर]], [[वैशाली]], [[समस्तीपुर]], [[बेगूसराय]], [[दरभंगा]], [[मधुबनी]], [[सुपौल]], [[मधेपुरा]], [[सहरसा]], और [[खगड़िया]] जिले का प्रायः पूरा भूभाग तथा [[भागलपुर]] जिले का आंशिक भूभाग आता है।<ref name="उ" />
 
यह सीमा प्राचीन उल्लेखों के अनुसार है संभवतः कोसी की अत्यधिक प्रसिद्धि तथा अनियंत्रित फैलाव के कारण भी पूर्वी सीमा कोसी को माना गया है। बाँध बनने से पूर्व कोसी का कोई नियत मार्ग नहीं रहा है। पूर्वी बिहार के सभी क्षेत्रों से प्रायः कोशी बही है। अतः [[महानंदा नदी]] से पश्चिम अर्थात पश्चिम बंगाल आरंभ होने से पहले का पूरा पूर्वी बिहार ([[अररिया]], [[किशनगंज]], [[पूर्णिया]] और [[कटिहार]] भी) मिथिलांचल का ही स्वाभाविक भाग रहा है।