"मिथिला": अवतरणों में अंतर

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== प्रमुख तीर्थ एवं दर्शनीय स्थल ==
श्रीराम-सीता से संबंधित विशेष स्थान होने के अतिरिक्त मिथिला देवाधिदेव [[महादेव]] के पूजन-स्थल के रूप में विशेष प्रसिद्ध रही है। वृहद् विष्णुपुराण के अनुसार यहाँ के अंतर्वर्ती प्रमुख शिवलिङ्गों के नाम इस प्रकार हैं<ref>वृहद्विष्णुपुराणीय मिथिला-माहात्म्यम् (सटीक), पूर्ववत्, श्लोक संख्या-74से77, पृ०-13-14.</ref>:-
# शिलानाथ
# कपिलेश्वर (पूर्व में)
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# भैरव (नैऋत्य कोण में)
 
मिथिला परिक्रमा के क्रम में सीमावर्ती शिवलिङ्गों का उल्लेख करते हुए '''सिंहेश्वर महादेव''' तथा '''कामेश्वर लिङ्ग''' का नाम अत्यधिक श्रद्धा पूर्वक लिया गया है। इस प्रकार यहाँ '''एकादश शिवलिङ्गों''' के नाम परिगणित किये गये हैं। पूर्व में सिंहेश्वर महादेव को प्रणाम कर परिक्रमा आरंभ करने तथा पुनः घूमकर सिंहेश्वर महादेव के पास पहुँचकर नियम-विधि पूर्ण करके ही घर जाने की बात कही गयी है।<ref>वृहद्विष्णुपुराणीय मिथिला-माहात्म्यम् (सटीक), पूर्ववत्, श्लोक संख्या-101से104, पृ०-18.</ref>
 
== मिथिला के प्रमुख शहर ==