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आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर अवस्थित [[असम]] की [[भाषा]] को '''असमी''', '''असमिया''' अथवा '''आसामी''' कहा जाता है।<ref>[https://www.ethnologue.com/language/asm 2016. Ethnologue: Languages of the World, Nineteenth edition]. Dallas, Texas: SIL International". SIL International. 2016.</ref> असमिया [[भारत]] के [[असम]] [[प्रांत]] की आधिकारिक भाषा तथा असम में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है।
[[भाषाई परिवार]] की दृष्टि से इसका संबंध [[आर्य भाषा]] परिवार से है और [[बांग्ला]], [[मैथिली]], [[उड़िया]] और [[नेपाली]] से इसका निकट का संबंध है। गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर [[सुनीतिकुमार चटर्जी]] के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है। [[उड़िया]] तथा [[बंगला]] की भांति असमी की भी उत्पत्ति [[प्राकृत]] तथा [[अपभ्रंश]] से भी हुई है।
यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में [[रुद्र कंदलि]] के [[द्रोण पर्व]] ([[महाभारत]]) तथा [[माधव कंदलि]] के [[रामायण]] से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। [[शंकर देव]] (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा।
सीमा की दृष्टि से असमिया क्षेत्र के पश्चिम में [[बंगला]] है। अन्य दिशाओं में कई विभिन्न परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से [[तिब्बती]], [[बर्मी]] तथा [[खासी]] प्रमुख हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा जा सकता है। अपने प्रदेश में भी असमिया एकमात्र बोली नहीं हैं। यह
== असमीया एवं बंगला ==
बहुत दिनों तक असमिया को [[बंगला]] की एक उपबोली सिद्ध करने का उपक्रम होता रहा है। असमीया की तुलना में बंगला भाषा और साहित्य के बहुमुखी प्रसार को देखकर ही लोग इस प्रकार की धारण बनाते रहे हैं। परंतु भाषावैज्ञानिक दृष्टि से बंगला और असमीया का समानांतर विकास आसानी से देखा जा सकता है। मागधी अपभ्रंश के एक ही स्रोत से
== क्षेत्रविस्तार एवं सीमाएँ ==
भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर स्थित होने के कारण असमिया कई अनार्य भाषापरिवारों से घिरी हुई है। इस स्तर पर सीमावर्ती भाषा होने के कारण उसके शब्दसमूह में अनार्य भाषाओं के कई स्रोतों के लिए हुए शब्द मिलते हैं। इन स्रोतों में से तीन अपेक्षाकृत अधिक मुख्य हैं :
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: (अ) खासी, (आ) कोलारी, (इ) मलायन
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शब्दसमूह की इस मिश्रित स्थिति के प्रसंग में यह स्पष्ट कर देना उचित होगा कि खासी, बोडो तथा थाई तत्व तो असमिया में उधार लिए गए हैं, पर मलायन और कोलारी तत्वों का मिश्रण इन भाषाओं के मूलाधार के पास्परिक मिश्रण के फलस्वरूप है। अनार्य भाषाओं के प्रभाव को असम के अनेक स्थाननामों में भी देखा जा सकता है। ऑस्ट्रिक, बोडो तथा अहोम के बहुत से स्थाननाम ग्रामों, नगरों तथा नदियों के नामकरण की पृष्ठभूमि में मिलते हैं। अहोम के स्थाननाम प्रमुखत: नदियों को दिए गए नामों में हैं।
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