"विकिपीडिया:शैली मार्गदर्शक": अवतरणों में अंतर
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यह '''शैली मार्गदर्शक''' [[विकिपीडिया]] पर लेख बनाते हुए उचित शैली का प्रयोग करने में सहायता करेगा। इसे पढ़ने से पहले पक्का कर लें कि आपको विकिपीडिया पर लेख सम्पादित करने आते हैं। अगर नहीं आते तो [[विकिपीडिया:स्वशिक्षा|विकिपीडिया पर स्वशिक्षा]] उपलब्ध है जो आपको तेज़ी से यह करना सिखा देगी।
लिखाई स्पष्ट और संक्षिप्त होनी चाहिए। साधारण हिन्दी का प्रयोग उत्तम है। तकनीकी, अध्ययनशील और कठिन शब्दों का प्रयोग मत करें। लिखाई साधारण हिन्दीभाषियों को समझ आ जानी चाहिए और इसके लिए ऊँचे स्तर की हिन्दी या किसी क्षेत्र में विशेष अध्ययन की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। जहाँ एक से ज़्यादा शैलियाँ ठीक हों, वहाँ पर संपादकों को एक शैली से अपनी पसंदीदा शैली में लेख परिवर्तित नहीं करने चाहिए। शैली के विषय में बार-बार किसी लेख में फेर-बदल की झड़पें करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मतभेद की स्तिथि में लेख के वार्ता पृष्ठ पर
इस शैली मार्गदर्शक पर आप अपनी
==लेखों के शीर्षक और उपशीर्षक==
===लेख शीर्षक===
लेखों के शीर्षक चुनते हुए कुछ मुख्य नीतियाँ हैं। अगर इन नीतियों में किसी स्थिति में आपसी टकराव होता है तो एक संतुलित दृष्टिकोण लेकर निर्णय करना होगा।
*शीर्षक [[संज्ञा|संज्ञाओं]] के रूप में होने चाहिए: "जीवन का आरम्भ" उचित है, "जीवन के आरम्भ में" अनुचित है
*शीर्षक का पहला या अंतिम अक्षर कोई विराम चिह्न नहीं होना चाहिए: "दिल्ली के राजमार्ग" उचित है, "दिल्ली के राजमार्ग।" अनुचित है
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हर लेख को एक आरम्भिक अनुच्छेद के साथ शुरू होना चाहिए। इस अनुच्छेद की अधिक-से-अधिक तीन या चार पंक्तियों से पढ़ने वाले को विषय के बारे में कुछ मुख्य तथ्य पता चल जाने चाहिए। इस हिस्से के बाद लेख के विभाग हो सकते हैं। विभागों के आगे एक-के-अन्दर-एक अपने विभाग भी हो सकते हैं।
हर विभाग का नाम और सामग्री समझदारी से चुने ताकि वह लेख के विषय के किसी महत्वपूर्ण पहलु के बारे में जानकारी दे सके। विभाग के शीर्षक ऐसे होने चाहिए कि पढ़ने वाला चाहे तो अपनी जिज्ञासानुसार सीधा अपने मतलब का विभाग
हर लेख के अंत में कुछ सूचियाँ डाली जा सकती हैं:
*'''इन्हें भी देखें''' - यह विकिपीडिया पर वे अन्य लेख होते हैं जो इस लेख में दिलचस्पी रखने वाले पाठक की रूचि के हो सकते हैं। इनकी संख्या बहुत अधिक न रखें। २-६ बहुत हैं।
*'''बाहरी कड़ियाँ''' - यह वे कड़ियाँ (जोड़ या लिंक्स) हैं जो विकिपीडिया के बाहर हैं और जहाँ और जानकारी मिल सकती है।
*'''सन्दर्भ''' - यह वह स्रोत हैं जो लेख की सामग्री को प्रमाणित करते हैं। याद रखें
*'''अन्य सामग्री''' - इसमें आप ऐसी किताबों, फ़िल्मों, गानों, इत्यादि के नाम डाल सकते हैं जो [[अंतरजाल]] (इंटरनेट) पर नहीं हैं लेकिन जिन्हें इस लेख के पाठक दिलचस्प समझ सकते हैं।
===विभाग शीर्षक===
विभागों में शीर्षक कैसे डालते हैं यह आप [[विकिपीडिया:स्वशिक्षा/रूपरंग|स्वशिक्षा के रूपरंग विभाग]] से सरलता से सीख सकते हैं। ध्यान रहे कि:
*विभागों के शीर्षक लेख के शीर्षक से भिन्न होने चाहिए, इन्हें
*शीर्षक छोटे रखें। अगर [[जापान]] के लेख में आप जापान के इतिहास पर विभाग बना रहे हैं, जो उसका नाम "जापान का इतिहास" न रखकर केवल "इतिहास" रखें। [[ख़ुबानी]] के लेख में "कई लाभ जो ख़ुबानी खाने से स्वास्थ्य को होते हैं" अच्छा शीर्षक नहीं है। इसकी
*शीर्षकों में जोड़ (लिंक)
*दो विभागों या उपविभागों को एक ही शीर्षक न दें वरना लेख के ऊपर स्वयं
==भाषा
हिन्दी एक बड़े भू-भाग में बोली जाने वाली बहुराष्ट्रीय भाषा है। अलग स्थानों और वर्गों में इसकी प्रथाएँ भिन्न हैं। शब्दों, शब्द-रूपों, व्याकरण और अन्य शैली-सम्बंधित मामलों में
===लेखों के भीतर सामंजस्य===
किसी भी लेख के अन्दर जहाँ तक हो सके एक ही शैली रखें ताकि पाठकों को पढ़ते हुए भाषा सामान्य रूप से बहती हुई लगे। उदहारण के लिए हिन्दी में "किये" और "किए" दोनों सही माने जाते हैं, लेकिन एक लेख के अन्दर इसका एक ही रूप प्रयोग करें। इसी तरह "गंधक" और "गन्धक", "अमेरिका" और "अमरीका", "इंग्लैण्ड" और "इंगलैंड" दोनों ठीक हैं लेकिन एक लेख में इनका एक ही रूप प्रयोग
*'''मूल सामग्री में''' - [[बंजरानामा]] नामक काव्य में "सब ठाठ पड़ा रह जावेगा" टीके के रूप में आता है। लेख में अन्य स्थानों पर मानक हिन्दी का "जाएगा" या "जायेगा" प्रयोग होंगे लेकिन कविता से दर्शाई गयी पंक्तियों में "जावेगा" के मूल रूप को ही रहने दें।
*'''पुस्तकों, फ़िल्मों और गानों के शीर्षकों में''' - इनके नाम वैसे ही लिखे जैसे मूल रूप में थे।
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*'''जहाँ हिन्दी की भिन्न शैलियों की तुलना की जा रही हो''' - अगर कहा जा रहा है कि भोजपुरी में "आसीस" होता है जबकि मानक हिन्दी में "आशीष" होता है तो इनमें से किसी रूप को न बदलें।
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हिन्दी में बहुत से शब्दों में अक्षरों में नुक्ते (बिंदु) लगते हैं। लेकिन लेखक कभी इन्हें लगाते हैं और कभी नहीं। ग़ज़ल, ग़जल, गज़ल और गजल सभी प्रयोग होते हैं। जैसा लेख में लिखा गया है, इसे वैसे ही छोड़ दें। इनमें फेर-बदल करने के लिए लेख में सम्पादन न करें। हिन्दीभाषी इन शब्दों को बिन्दुओं के साथ और बिन्दुओं के बिना दोनों स्थितियों में पढ़ने में सक्षम होते हैं। हाँ, अगर बिंदु के प्रयोग या अप्रयोग से शब्द के अर्थ में अंतर पड़ जाए तो उसे ठीक करने के लिए सम्पादन ज़रूर करें। उदाहरण के लिए अगर "ज़ंग" (लोहे पर लगा ज़ंग) की जगह ग़लती से "जंग" (युद्ध) लिखा गया हो, तो उसे ठीक कर दें।
===भाषा में लचक===
हिन्दी एक विस्तृत भाषा है जिसमें कई शब्दों का मिलता-जुलता अर्थ निकलता है। इसका लाभ उठाएँ। एक ही चीज़ के लिए अलग-अलग शब्दों के प्रयोग से भाषा में रस रहता है। प्रयत्न करें
==शब्दों के लघुरूप==
लघुरूपों (अब्रिविएशन) के प्रयोग के लिए लेख में जब वह शब्द पहली दफ़ा आए तो उसे अपने पूरे रूप में लिखिए और ब्रैकेट
:द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम (द्रमुक)
जहाँ लघुरूप हिन्दी के अन्य शब्दों के जैसे लगें और पाठकों के असमंजस में पड़ने का ख़तरा हो वहाँ बिन्दुओं (".") अथवा "॰" चिह्न का प्रयोग करें:
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