"गांधी-इरविन समझौता": अवतरणों में अंतर

समझौते के बाद उत्पन्न परिस्थिति
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यह समझौता इसलिये महत्वपूर्ण था क्योंकि पहली बार ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के साथ समानता के स्तर पर समझौता किया।
 
गांधी इरविन समझौते या दिल्ली समझौते को स्वीकृति देने के लिए कांग्रेस का कराची अधिवेशन (1931) आयोजित हुआ। इसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी। इससे 6 दिन पहले भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गयी थी। आम जन को उम्मीद थी कि गांधी जी इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। गांधीजी को उनकी कराची यात्रा के दौरान काले झंडे दिखाए गए और उनके विरुद्ध जनप्रदर्शन हुआ। भगत सिंह और उनके साथियों को सजा से बचा न पाने के लिए पंजाब नौजवान सभा ने गांधी जी की तीव्र आलोचना की।
 
==इन्हें भी देखें==