"विद्यार्थी": अवतरणों में अंतर

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अर्थात् (सुख चाहने वाले को विद्या छोड़ देनी चाहिए और विद्या चाहने वाले को सुख छोड़ देना चाहिए। क्योंकि सुख चाहने वाले को विद्या नहीं आ सकती और विद्या चाहने वाले को सुख कहाँ?)
 
: ''आचार्यात् पादमादत्ते पादं शिष्यः स्वमेधया ।
: ''पादं सब्रह्मचारिभ्यः पादं कालक्रमेण च ॥
:अर्थात् ( विद्यार्थी अपना एक-चौथाई ज्ञान अपने गुरु से प्राप्त करता है, एक चौथाई अपनी बुद्धि से प्राप्त करता है, एक-चौथाई अपने सहपाठियों से और एक-चौथाई समय के साथ (कालक्रम से, अनुभव से) प्राप्त करता है।
 
==इन्हें भी देखें==