"हिन्दी जाति": अवतरणों में अंतर

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'''हिंदी जाति''' की अवधारणा [[रामविलास शर्मा|डॉ रामविलास शर्मा]] की महत्वपूर्ण स्थापनाओं में से एक है। डॉ॰ रामविलास शर्मा की ‘हिन्दी जाति' की अवधारणा में जाति शब्द का प्रयोग नस्ल (race) या बिरादरी (caste) के लिए न होकर '''राष्ट्रीयता''' (nationality) के अर्थ में हुआ है। उन्होंने सर्वाधिक बल अपनी इसी मान्यता पर दिया। अपनी इसी स्थापना के कारण वे सर्वाधिक विवादित और चर्चित भी हुए।
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जाति''' की अवधारणा [[रामविलास शर्मा|डॉ रामविलास शर्मा]] की महत्वपूर्ण स्थापनाओं में से एक है। डॉ॰ रामविलास शर्मा की ‘हिन्दी जाति' की अवधारणा में जाति शब्द का प्रयोग नस्ल (race) या बिरादरी (caste) के लिए न होकर '''राष्ट्रीयता''' (nationality) के अर्थ में हुआ है। उन्होंने सर्वाधिक बल अपनी इसी मान्यता पर दिया। अपनी इसी स्थापना के कारण वे सर्वाधिक विवादित और चर्चित भी हुए।
 
अवधी, ब्रजभाषा, भोजपुरी, मगही, बुंदेलखंडी, राजस्थानी आदि बोलियों के बीच अंतरजनपदीय स्तर पर हिंदी की प्रमुख भूमिका को देखते हुए रामविलासजी ने ‘हिंदी जाति’ की अवधारणा सामने रखी, ताकि इन बोलियों को बोलने वाले जनपदीय या क्षेत्रीय पृथकता की भावना से उबर कर हिंदी को अपनी जातीय भाषा के रूप में स्वीकार कर सकें।