"चिकनगुनिया": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो Hindighareluupay (Talk) के संपादनों को हटाकर राजू जांगिड़ के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
प्रचार कड़ियाँ हटाई |
||
पंक्ति 19:
| species = '''''चिकुनगुनिया वा्यरस'''''
}}
'''चिकनगुनिया''' लम्बें समय तक चलने वाला जोडों का रोग है जिसमें जोडों मे भारी दर्द होता है। इस रोग का उग्र चरण तो मात्र २ से ५ दिन के लिये चलता है किंतु जोडों का दर्द महीनों या हफ्तों तक तो बना ही रहता
चिकनगुनिया [[विषाणु]] एक [[अर्बोविषाणु]] है जिसे [[अल्फाविषाणु]] परिवार का माना जाता है। यह [[मानव]] में एडिस [[मच्छर]] के काटने से प्रवेश करता है। यह [[विषाणु]] ठीक उसी लक्षण वाली बीमारी पैदा करता है जिस प्रकार की स्थिति [[डेंगू]] रोग मे होती है।
पंक्ति 25:
== लक्षण तथा दशा ==
इस रोग को शरीर मे आने के बाद इसे फैलने मे २ से ४ दिन का समय लगता है।
== कारण ==
[[चित्र:Aedes aegypti biting human.jpg|thumb|200px|''[[एडीज़ इजिप्टी]]'' मच्छर, मानव मांस पर काटते हुए।]]
इस रोग को [[शरीर]] मे आने के बाद २ से ४ दिन का [[समय]] फैलने मे लगता है, रोग के लक्षणों मे 39डिग्री [102.2 फा] तक का [[ज्वर]], धड और फिर हाथों पैरों पे चकते बन जाना, शरीर के विभिन्न जोडाँ मे पीडा होना शामिल है इसके अलावा सिरदर्द, प्रकाश से भय लगना, आखों मे पीडा शामिल है। ज्वर आम तौर पर दो से ज्यादा दिन नहीं चलता है तथा अचानक समाप्त होता है, लेकिन अन्य लक्षण जिनमें [[अनिद्रा]] तथा निर्बलता भी शामिल है आम तौर पर 5 से 7 दिन तक चलतें है रोगियों को लम्बे समय तक जोडों की पीडा हो सकती जो उनकी उम्र पर निर्भर करती है।
मूल रूप से यह रोग [[उष्णकटिबंधीय]] [[अफ्रीका]] तथा [[एशिया]] मे पनपता है जहाँ यह रोग एडिस प्रजाति के मच्छर मानवों मे फैलाते है। यह रोग मानव- मच्छर- मानव के चक्र मे फैलता है।
== पैथोफिजियोलोजी ==
पंक्ति 44:
इस रोग का कोई उपचार नहीं है, ना ही इसके विरूद्ध कोई टीका मिलता है। सिर्फ एक अनुसंधान जिसे अमेरिकी सरकार से पैसा मिला है जो चल रहा है।
चिकनगुनिया के विरूद्ध एक [[सीरोलोजिकल परीक्षण]] उपलब्ध है जिसे [[मलाया विश्वविधालय]] कुआलालापुंर मलेशिया ने विकसित किया है।
[[क्लोरोक्वीन]] इस रोग के लक्षणों के विरूद्ध प्रभावी औषधि सिद्ध हो रही है इसका प्रयोग एक [[एण्टीवायरल]] एजेंट के रूप मे हो सकता है। पीडा की दशा जो [[गठिया]] के समान होती है तथा जो [[एस्परीन]] से समाप्त नही की जा सकती है को [[क्लोरोक्वीन फास्फेट]]की खुराक से सही किया जा सकता है मलाया विश्वविधालय के इस अध्ययन की पुष्टि इटली तथा [[फ्रांस]] सरकार के रिपोर्ट भी करते है। इस रोग के आंकडें बताते है कि [[एस्परीन]],[[इबूफ्रिन]]तथा[[नैप्रोक्सीन]] जैसी औषधिया असफल रहती है। रोगी यदि हल्की फुल्की कसरत करे तो उसे लाभ मिलता है। किंतु भारी कसरत से पीडा बढ जाती है [[अस्थि]] पीडा 8 मास बाद तक बनी रहती है, [[केरल]] में लोगों द्वारा [[शहद]]-[[चूना]] मिश्रण प्रयोग किया है कुछ लोगों को कम मात्रा मे हल्दी प्रयोग से भी लाभ होता देखा गया है।
== पूर्वानुमान ==
पंक्ति 59:
यह पहली बार तंजानिया मे फैला था।
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
== बाहरी कडियाँ ==
|