"लेव तोलस्तोय": अवतरणों में अंतर

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1862 में तॉलस्तॉय का विवाह साफिया बेर्हस नामक उच्चवर्गीय संभ्रांत महिला से हुआ। उनके वैवाहिक जीवन का पूर्वाश तो बड़ा सुखद रहा पर उत्तरांश कटुतापूर्ण बीता। तॉलस्तॉय के वैवाहिक जीवन में गृहिणी का आदर्श पूर्णत: भारतीय गृहिणी का सा था: पर तत्कालीन रूसी संभ्रांत समाज के विचार बिल्कुल भिन्न थे।
 
1863 से 1869 तक तॉलस्तॉय का समय "वार ऐंड पीस" की रचना में एवं 1873 से 76 तक का समय "अन्ना कैरेनिना" की रचना में बीता। इन दोनों रचनाओं ने तॉलस्तॉय की साहित्यिक ख्याति को बहुत ऊँचा उठाया। वे मनुष्यजीवन का रहस्य और उसके तत्वचिंतन के प्रति विशेष जागरूक थे। 1875 से 1879 तक का समय उनके लिये बड़ा निराशजनक था- ईश्वर पर से उनकी आस्था तक उठ चुकी थी ओर आत्महत्या तक करने पर वे उतारू हो गए थे। पर अंत में उन्होंने इसपर विजय पाई। 1878-79 में इन्होने "कनफेशन" (मेरी मुक्ति की कहानी) नामक अपनी विवादपूर्ण कृति की रचना की। इसके क्रांतिकारी विचार ऐसे हैं जिनके कारण रूस में इसके प्रकाशन की अनुमति भी नहीं मिली और पुस्तक [[स्विटलरलैंडस्विटजरलैंड]] में प्रकाशित हुई। इस समय की उनकी अन्य कई रचनाएँ इसी कोटि की हैं और वे सब स्विटजरलैंड में छपी हैं।
 
1878 से लेकर 1885 तक की अवधि में फलात्मक साहित्य सृजन की दृष्टि से तॉलस्तॉय निष्क्रिय रहे। उनकी अंतर्वृति मानव जीवन के रहस्य की खोज में उलझी रही। अंबतक की समस्त रचनाएँ उन्हें व्यर्थ प्रतीत होने लगीं। पर 1886 में वे पुन: उच्चकोटि के सिद्धहस्त उपन्यास लेखक के रूप में सामने आए और इसी वर्ष उनकी महान उपन्यासिक रचना '"इवान इल्यीच की मृत्यु"' प्रकाशित हुई।