"गंगा दशहरा": अवतरणों में अंतर

गंगा दशहरा
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[[File:Ganga Dashara, at Haridwar.jpg|thumb|200px|गंगा दशहरा, 2005]]
कोई इस श्लोक में 'त्रिपथायै' इसके स्थान में 'जगद्धात्रैय' ऐसा पाठ करते हैं। इसका अर्थ होता है कि, जगत् की धात्री के लिए नमस्कार।। 7।। तीन शुक्ल संस्थावाली को और क्षमावती को बारंबार नमस्कार तीन अग्नि की संस्थावाली तेजोवती के लिए नमस्कार है, लिंग धारणी नंदा के लिए नमस्कार तथा अमृत की धारारूपी आत्मा वाली के लिए नमस्कार कोई 'नारायण्यै नमोनम:' नारायणी के लिए नमस्कार है ऐसा पाठ करते हैं।। 8।। संसार में आप मुख्य हैं आपके लिए ‍नमस्कार, रेवती रूप आपके लिए नमस्कार, तुझ बृहती के लिए नमस्कार एवं तुझ लोकधात्री के लिए नम: है।। 9।।