"भारतीय दण्ड संहिता": अवतरणों में अंतर

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* '''धारा १०७''' किसी बात का दुष्प्रेरण
* '''धारा १०८''' दुष्प्रेरक
* '''धारा १०८''' भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण
* '''धारा १०९''' दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए और जहां तक कि उसके दण्ड के लिये कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है
* '''धारा ११०''' दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है
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| आपराधिक षडयंत्र
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* '''धारा १२०१२०क''' आपराधिक षडयंत्र की परिभाषा
* '''धारा १२०१२०ख''' आपराधिक षडयंत्र का दण्ड
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| अध्याय ६
| राज्य के विरूद्ध अपराधेंअपराधों के विषय में
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* '''धारा १२१''' भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना
* '''धारा १२१''' धारा १२१ दवारा दण्डनीय अपराधों को करने का षडयंत्र
* '''धारा १२२''' भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रह करना
* '''धारा १२३''' युद्ध करने की परिकल्पना को सुनकर बनाने के आशय से छुपाना
* '''धारा १२४''' किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोपित करने के आशय से राट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना
* '''धारा १२४''' राजद्रोह
* '''धारा १२५''' भारत सरकार से मैत्री सम्बंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरूद्ध युद्ध करना
* '''धारा १२६''' भारत सरकार के साथ शान्ति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्य क्षेत्र में लूटपाट करना
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* '''धारा १३१''' विद्रोह का दुष्प्रेरण का किसी सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना
* '''धारा १३२''' विद्रोह का दुष्प्रेरण, यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए।
* '''धारा १३३''' सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी, जब कि वह अधिकारी अपने पद-निष्पादन में हो, पर हमले का दुष्प्रेरण।
* '''धारा १३४''' हमले का दुष्प्रेरण जिसके परिणामस्वरूप हमला किया जाए।
* '''धारा १३५''' सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा परित्याग का दुष्प्रेरण।
* '''धारा १३६''' अभित्याजक को संश्रय देना
* '''धारा १३७''' मास्टर की उपेक्षा से किसी वाणिज्यिक जलयान पर छुपा हुआ अभित्याजक
* '''धारा १३८''' सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता के कार्य का दुष्प्रेरण।
* '''धारा १३८ क''' पूर्वोक्त धाराओं का भारतीय सामुद्रिक सेवा को लागू होना
* '''धारा १३९''' कुछ अधिनियमों के अध्यधीन व्यक्ति।
* '''धारा १४०''' सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक पहनना या प्रतीक चिह्न धारण करना।
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| अध्याय ८
| सार्वजनिक शान्ति के विरुद्ध अपराध
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* '''धारा १४१''' विधिविरुद्ध जनसमूह।
* '''धारा १४२''' विधिविरुद्ध जनसमूह का सदस्य होना।
* '''धारा १४३''' गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होने के नाते दंड
* '''धारा १४४''' घातक आयुध से सज्जित होकर विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित होना।
* '''धारा १४५''' किसी विधिविरुद्ध जनसमूह, जिसे बिखर जाने का समादेश दिया गया है, में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना।
* '''धारा १४६''' उपद्रव करना
* '''धारा १४७''' बल्वा करने के लिए दण्ड
* '''धारा १४८''' घातक आयुध से सज्जित होकर उपद्रव करना।
* '''धारा १४९''' विधिविरुद्ध जनसमूह का हर सदस्य, समान लक्ष्य का अभियोजन करने में किए गए अपराध का दोषी।
* '''धारा १५०''' विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित करने के लिए व्यक्तियों का भाड़े पर लेना या भाड़े पर लेने के लिए बढ़ावा देना।
* '''धारा १५१''' पांच या अधिक व्यक्तियों के जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिए जाने के पश्चात् जानबूझकर शामिल होना या बने रहना
* '''धारा १५२''' लोक सेवक के उपद्रव / दंगे आदि को दबाने के प्रयास में हमला करना या बाधा डालना।
* '''धारा १५३''' उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना
* '''धारा १५३ क''' धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना।
* '''धारा १५३ ख''' राष्ट्रीय अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यान
* '''धारा १५४''' उस भूमि का स्वामी या अधिवासी, जिस पर गैरकानूनी जनसमूह एकत्रित हो
* '''धारा १५५''' व्यक्ति जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो का दायित्व
* '''धारा १५६''' उस स्वामी या अधिवासी के अभिकर्ता का दायित्व, जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया जाता है
* '''धारा १५७''' विधिविरुद्ध जनसमूह के लिए भाड़े पर लाए गए व्यक्तियों को संश्रय देना।
* '''धारा १५८''' विधिविरुद्ध जमाव या बल्वे में भाग लेने के लिए भाड़े पर जाना
* '''धारा १५९''' दंगा
* '''धारा १६०''' उपद्रव करने के लिए दण्ड।
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| अध्याय ९
| लोकसेवकों द्वारा या उनसे सम्बन्धित अपराध
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* '''धारा १६१ से १६५''' लोक सेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराधों के विषय में
* '''धारा १६६''' लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाने के आशय से विधि की अवज्ञा करना।
* '''धारा १६६ क''' कानून के तहत महीने दिशा अवहेलना लोक सेवक
* '''धारा १६६ ख''' अस्पताल द्वारा शिकार की गैर उपचार
* '''धारा १६७''' लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है।
* '''धारा १६८''' लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से व्यापार में लगता है
* '''धारा १६९''' लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है।
* '''धारा १७०''' लोक सेवक का प्रतिरूपण।
* '''धारा १७१''' कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना।
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| अध्याय ९क
| चुनाव सम्बन्धी अपराध
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* '''धारा १७१ क''' अभ्यर्थी, निर्वाचन अधिकार परिभाषित
* '''धारा १७१ ख''' रिश्वत
* '''धारा १७१ ग''' निर्वाचनों में असम्यक् असर डालना
* '''धारा १७१ घ''' निर्वाचनों में प्रतिरूपण
* '''धारा १७१ ङ''' रिश्वत के लिए दण्ड
* '''धारा १७१ च''' निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्ड
* '''धारा १७१ छ''' निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन
* '''धारा १७१ ज''' निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदाय
* '''धारा १७१ झ''' निर्वाचन लेखा रखने में असफलता
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| अध्याय १०
| लोकसेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के विरुद्ध अवमानना
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* '''धारा १७२''' समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना
* '''धारा १७३''' समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना।
* '''धारा १७४''' लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना
* '''धारा १७५''' दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को १[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] पेश करने का लोप
* '''धारा १७६''' सूचना या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप।
* '''धारा १७७''' झूठी सूचना देना।
* '''धारा १७८''' शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाए
* '''धारा १७९''' प्रश्न करने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक को उत्तर देने से इंकार करना।
* '''धारा १८०''' कथन पर हस्ताक्षर करने से इंकार
* '''धारा १८१''' शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान।
* '''धारा १८२''' लोक सेवक को अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति की क्षति करने के आशय से झूठी सूचना देना
* '''धारा १८३''' लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति लिए जाने का प्रतिरोध
* '''धारा १८४''' लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति के विक्रय में बाधा डालना।
* '''धारा १८५''' लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति का अवैध क्रय या उसके लिए अवैध बोली लगाना।
* '''धारा १८६''' लोक सेवक के लोक कॄत्यों के निर्वहन में बाधा डालना।
* '''धारा १८७''' लोक सेवक की सहायता करने का लोप, जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो
* '''धारा १८८''' लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा।
* '''धारा १८९''' लोक सेवक को क्षति करने की धमकी
* '''धारा १९०''' लोक सेवक से संरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने हेतु किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति की धमकी।
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| अध्याय ११
| झूठा साक्ष्य तथा लोकन्याय के विरुद्ध अपराध
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* '''धारा १९१''' झूठा साक्ष्य देना।
* '''धारा १९२''' झूठा साक्ष्य गढ़ना।
* '''धारा १९३''' मिथ्या साक्ष्य के लिए दंड
* '''धारा १९४''' मॄत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना।
* '''धारा १९५''' आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि प्राप्त करने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना
* '''धारा १९६''' उस साक्ष्य को काम में लाना जिसका मिथ्या होना ज्ञात है
* '''धारा १९७''' मिथ्या प्रमाणपत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करना
* '''धारा १९८''' प्रमाणपत्र जिसका नकली होना ज्ञात है, असली के रूप में प्रयोग करना।
* '''धारा १९९''' विधि द्वारा साक्ष्य के रूप में लिये जाने योग्य घोषणा में किया गया मिथ्या कथन।
* '''धारा २००''' ऐसी घोषणा का मिथ्या होना जानते हुए सच्ची के रूप में प्रयोग करना।
* '''धारा २०१''' अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए झूठी जानकारी देना।
* '''धारा २०२''' सूचना देने के लिए आबद्ध व्यक्ति द्वारा अपराध की सूचना देने का साशय लोप।
* '''धारा २०३''' किए गए अपराध के विषय में मिथ्या इत्तिला देना
* '''धारा २०४''' साक्ष्य के रूप में किसी ३[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] का पेश किया जाना निवारित करने के लिए उसको नष्ट करना
* '''धारा २०५''' वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपण
* '''धारा २०६''' संपत्ति को समपहरण किए जाने में या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से निवारित करने के लिए उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपाना
* '''धारा २०७''' संपत्ति पर उसके जब्त किए जाने या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से बचाने के लिए कपटपूर्वक दावा।
* '''धारा २०८''' ऐसी राशि के लिए जो शोध्य न हो कपटपूर्वक डिक्री होने देना सहन करना
* '''धारा २०९''' बेईमानी से न्यायालय में मिथ्या दावा करना
* '''धारा २१०''' ऐसी राशि के लिए जो शोध्य नहीं है कपटपूर्वक डिक्री अभिप्राप्त करना
* '''धारा २११''' क्षति करने के आशय से अपराध का झूठा आरोप।
* '''धारा २१२''' अपराधी को संश्रय देना।
* '''धारा २१३''' अपराधी को दंड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेना
* '''धारा २१४''' अपराधी के प्रतिच्छादन के प्रतिफलस्वरूप उपहार की प्रस्थापना या संपत्ति का प्रत्यावर्तन
* '''धारा २१५''' चोरी की संपत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिए उपहार लेना
* '''धारा २१६''' ऐसे अपराधी को संश्रय देना, जो अभिरक्षा से निकल भागा है या जिसको पकड़ने का आदेश दिया जा चुका है।
* '''धारा २१६क''' लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति
* '''धारा २१६ख''' धारा २१२, धारा २१६ और धारा २१६क में संश्रय की परिभाषा
* '''धारा २१७''' लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा
* '''धारा २१८''' किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से लोक सेवक द्वारा अशुद्ध अभिलेख या लेख की रचना
* '''धारा २१९''' न्यायिक कार्यवाही में विधि के प्रतिकूल रिपोर्ट आदि का लोक सेवक द्वारा भ्रष्टतापूर्वक किया जाना
* '''धारा २२०''' प्राधिकार वाले व्यक्ति द्वारा जो यह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, विचारण के लिए या परिरोध करने के लिए सुपुर्दगी
* '''धारा २२१''' पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप
* '''धारा २२२''' दंडादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए व्यक्ति को पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप
* '''धारा २२३''' लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना।
* '''धारा २२४''' किसी व्यक्ति द्वारा विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा।
* '''धारा २२५''' किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा
* '''धारा २२५ क''' उन दशाओं में जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है लोक सेवक द्वारा पकड़ने का लोप या निकल भागना सहन करना
* '''धारा २२५ ख''' अन्यथा अनुपबंधित दशाओं में विधिपूर्वक पकड़ने में प्रतिरोध या बाधा या निकल भागना या छुड़ाना
* '''धारा २२६''' निर्वासन से विधिविरुद्ध वापसी।
* '''धारा २२७''' दंड के परिहार की शर्त का अतिक्रमण
* '''धारा २२८''' न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्न
* '''धारा २२८क''' कतिपय अपराधों आदि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का प्रकटीकरण
* '''धारा २२९''' जूरी सदस्य या आंकलन कर्ता का प्रतिरूपण।
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| अध्याय १२
| सिक्के तथा सरकारी स्टाम्प से सम्बन्धित अपराध
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* '''धारा २३०''' सिक्का की परिभाषा
* '''धारा २३१''' सिक्के का कूटकरण
* '''धारा २३२''' भारतीय सिक्के का कूटकरण
* '''धारा २३३''' सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना
* '''धारा २३४''' भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना
* '''धारा २३५''' सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना
* '''धारा २३६''' भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरण
* '''धारा २३७''' कूटकॄत सिक्के का आयात या निर्यात
* '''धारा २३८''' भारतीय सिक्के की कूटकॄतियों का आयात या निर्यात
* '''धारा २३९''' सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था
* '''धारा २४०''' उस भारतीय सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था
* '''धारा २४१''' किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकॄत होना नहीं जानता था
* '''धारा २४२''' कूटकॄत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकॄत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था
* '''धारा २४३''' भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकॄत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था
* '''धारा २४४''' टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के को उस वजन या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत है
* '''धारा २४५''' टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरुद्ध रूप से लेना
* '''धारा २४६''' कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना
* '''धारा २४७''' कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना
* '''धारा २४८''' इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए
* '''धारा २४९''' इस आशय से भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए
* '''धारा २५०''' ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है
* '''धारा २५१''' भारतीय सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है
* '''धारा २५२''' ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया
* '''धारा २५३''' ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया
* '''धारा २५४''' सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता था
* '''धारा २५५''' सरकारी स्टाम्प का कूटकरण
* '''धारा २५६''' सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री कब्जे में रखना
* '''धारा २५७''' सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना
* '''धारा २५८''' कूटकॄत सरकारी स्टाम्प का विक्रय
* '''धारा २५९''' सरकारी कूटकॄत स्टाम्प को कब्जे में रखना
* '''धारा २६०''' किसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकॄत जानते हुए उसे असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाना
* '''धारा २६१''' इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है, लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया है
* '''धारा २६२''' ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका है
* '''धारा २६३''' स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह का छीलकर मिटाना
* '''धारा २६३क''' बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेघ
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| अध्याय १३
| माप और तौल से सम्बन्धित अपराध
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* '''धारा २६४''' तोलने के लिए खोटे उपकरणों का कपटपूर्वक उपयोग
* '''धारा २६५''' खोटे बाट या माप का कपटपूर्वक उपयोग
* '''धारा २६६''' खोटे बाट या माप को कब्जे में रखना
* '''धारा २६७''' खोटे बाट या माप का बनाना या बेचना
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| अध्याय १४
| लोक स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुविधा आदि से सम्बन्धित अपराध
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* '''धारा २६८''' लोक न्यूसेन्स
* '''धारा २६९''' उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो
* '''धारा २७०''' परिद्वेषपूर्ण कार्य, जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो
* '''धारा २७१''' करन्तीन के नियम की अवज्ञा
* '''धारा २७२''' विक्रय के लिए आशयित खाद्य या पेय वस्तु का अपमिश्रण।
* '''धारा २७३''' अपायकर खाद्य या पेय का विक्रय
* '''धारा २७४''' औषधियों का अपमिश्रण
* '''धारा २७५''' अपमिश्रित ओषधियों का विक्रय
* '''धारा २७६''' ओषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रय
* '''धारा २७७''' लोक जल-स्रोत या जलाशय का जल कलुषित करना
* '''धारा २७८''' वायुमण्डल को स्वास्थ्य के लिए अपायकर बनाना
* '''धारा २७९''' सार्वजनिक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना या हांकना
* '''धारा २८०''' जलयान का उतावलेपन से चलाना
* '''धारा २८१''' भ्रामक प्रकाश, चिन्ह या बोये का प्रदर्शन
* '''धारा २८२''' अक्षमकर या अति लदे हुए जलयान में भाड़े के लिए जलमार्ग से किसी व्यक्ति का प्रवहण
* '''धारा २८३''' लोक मार्ग या पथ-प्रदर्शन मार्ग में संकट या बाधा कारित करना।
* '''धारा २८४''' विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण
* '''धारा २८५''' अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
* '''धारा २८६''' विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण
* '''धारा २८७''' मशीनरी के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण
* '''धारा २८८''' किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण
* '''धारा २८९''' जीवजन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
* '''धारा २९०''' अन्यथा अनुपबन्धित मामलों में लोक बाधा के लिए दण्ड।
* '''धारा २९१''' न्यूसेन्स बन्द करने के व्यादेश के पश्चात् उसका चालू रखना
* '''धारा २९२''' अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय आदि।
* '''धारा २९२ क''' ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से अश्लील सामग्री प्रिन्ट करना
* '''धारा २९३''' तरुण व्यक्ति को अश्लील वस्तुओ का विक्रय आदि
* '''धारा २९४''' अश्लील कार्य और गाने
* '''धारा २९४ क''' लाटरी कार्यालय रखना
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| अध्याय १५
| धर्म से सम्बन्धित अपराध
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* '''धारा २९५''' किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना।
* '''धारा २९६''' धार्मिक जमाव में विघ्न करना
* '''धारा २९७''' कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना
* '''धारा २९८''' धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सविचार आशय से शब्द उच्चारित करना आदि।
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| अध्याय १६
| मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध
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* '''धारा २९९''' आपराधिक मानव वध
* '''धारा ३००''' हत्या
* '''धारा ३०१''' जिस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मॄत्यु करके आपराधिक मानव वध करना।
* '''धारा ३०२''' हत्या के लिए दण्ड
* '''धारा ३०३''' आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या के लिए दण्ड।
* '''धारा ३०४''' हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्ड
* '''धारा ३०४ क''' उपेक्षा द्वारा मॄत्यु कारित करना
* '''धारा ३०४ ख''' दहेज मॄत्यु
* '''धारा ३०५''' शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण।
* '''धारा ३०६''' आत्महत्या का दुष्प्रेरण
* '''धारा ३०७''' हत्या करने का प्रयत्न
* '''धारा ३०८''' गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास
* '''धारा ३०९''' आत्महत्या करने का प्रयत्न।
* '''धारा ३१०''' ठग।
* '''धारा ३११''' ठगी के लिए दण्ड।
* '''धारा ३१२''' गर्भपात कारित करना।
* '''धारा ३१३''' स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कारित करना।
* '''धारा ३१४''' गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मॄत्यु।
* '''धारा ३१५''' शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।
* '''धारा ३१६''' ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मॄत्यु कारित करना।
* '''धारा ३१७''' शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का परित्याग और अरक्षित डाल दिया जाना।
* '''धारा ३१८''' मॄत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छिपाना
* '''धारा ३१९''' क्षति पहुँचाना।
* '''धारा ३२०''' घोर आघात।
* '''धारा ३२१''' स्वेच्छया उपहति कारित करना
* '''धारा ३२२''' स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
* '''धारा ३२३''' जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाने के लिए दण्ड
* '''धारा ३२४''' खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करना
* '''धारा ३२५''' स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुचाने के लिए दण्ड
* '''धारा ३२६''' खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति कारित करना।
* '''धारा ३२६ क''' एसिड हमले
* '''धारा ३२६ ख''' एसिड हमला करने का प्रयास
* '''धारा ३२७''' संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छापूर्वक चोट पहुँचाना।
* '''धारा ३२८''' अपराध करने के आशय से विष इत्यादि द्वारा क्षति कारित करना।
* '''धारा ३२९''' सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
* '''धारा ३३०''' संस्वीकॄति जबरन वसूली करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया क्षति कारित करना।
* '''धारा ३३१''' संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
* '''धारा ३३२''' लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना
* '''धारा ३३३''' लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना।
* '''धारा ३३४''' प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करना
* '''धारा ३३५''' प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
* '''धारा ३३६''' दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य।
* '''धारा ३३७''' किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुँचाना कारित करना
* '''धारा ३३८''' किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करना
* '''धारा ३३९''' सदोष अवरोध।
* '''धारा ३४०''' सदोष परिरोध या गलत तरीके से प्रतिबंधित करना।
* '''धारा ३४१''' सदोष अवरोध के लिए दण्ड
* '''धारा ३४२''' ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड।
* '''धारा ३४३''' तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।
* '''धारा ३४४''' दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।
* '''धारा ३४५''' ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका है
* '''धारा ३४६''' गुप्त स्थान में सदोष परिरोध।
* '''धारा ३४७''' सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध।
* '''धारा ३४८''' संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोध
* '''धारा ३४९''' बल।
* '''धारा ३५०''' आपराधिक बल
* '''धारा ३५१''' हमला।
* '''धारा ३५२''' गम्भीर प्रकोपन के बिना हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्ड
* '''धारा ३५३''' लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
* '''धारा ३५४''' स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
* '''धारा ३५४ क''' यौन उत्पीड़न
* '''धारा ३५४ ख''' एक औरत नंगा करने के इरादे के साथ कार्य
* '''धारा ३५४ ग''' छिप कर देखना
* '''धारा ३५४ घ''' पीछा
* '''धारा ३५५''' गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा किसी व्यक्ति का अनादर करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
* '''धारा ३५६''' हमला या आपराधिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति द्वारा ले जाई जाने वाली संपत्ति की चोरी का प्रयास।
* '''धारा ३५७''' किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
* '''धारा ३५८''' गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
* '''धारा ३५९''' व्यपहरण
* '''धारा ३६०''' भारत में से व्यपहरण।
* '''धारा ३६१''' विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण
* '''धारा ३६२''' अपहरण।
* '''धारा ३६३''' व्यपहरण के लिए दण्ड
* '''धारा ३६३ क''' भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय का व्यपहरण का विकलांगीकरण
* '''धारा ३६४''' हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण करना।
* '''धारा ३६४क''' फिरौती, आदि के लिए व्यपहरण।
* '''धारा ३६५''' किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / क़ैद करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण।
* '''धारा ३६६''' विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना।
* '''धारा ३६६ क''' अप्राप्तवय लड़की का उपापन
* '''धारा ३६६ ख''' विदेश से लड़की का आयात करना
* '''धारा ३६७''' व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व, आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण।
* '''धारा ३६८''' व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाना या क़ैद करना।
* '''धारा ३६९''' दस वर्ष से कम आयु के शिशु के शरीर पर से चोरी करने के आशय से उसका व्यपहरण या अपहरण
* '''धारा ३७०''' मानव तस्करी''' दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या बेचना।
* '''धारा ३७१''' दासों का आभ्यासिक व्यवहार करना।
* '''धारा ३७२''' वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को बेचना।
* '''धारा ३७३''' वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना।
* '''धारा ३७४''' विधिविरुद्ध बलपूर्वक श्रम।
* '''धारा ३७५''' बलात्संग
* '''धारा ३७६''' बलात्कार के लिए दण्ड
* '''धारा ३७६ क''' पॄथक् कर दिए जाने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग्र
* '''धारा ३७६ ख''' लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में की किसी स्त्री के साथ संभोग
* '''धारा ३७६ ग''' जेल, प्रतिप्रेषण गॄह आदि के अधीक्षक द्वारा संभोग
* '''धारा ३७६ घ''' अस्पताल के प्रबन्ध या कर्मचारिवॄन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ संभोग
* '''धारा ३७७''' प्रकॄति विरुद्ध अपराध
|-
| अध्याय १७
| सम्पत्ति के विरुद्ध अपराध
|
* '''धारा ३७८''' चोरी
* '''धारा ३७९''' चोरी के लिए दंड
* '''धारा ३८०''' निवास-गॄह आदि में चोरी
* '''धारा ३८१''' लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे में संपत्ति की चोरी।
* '''धारा ३८२''' चोरी करने के लिए मॄत्यु, क्षति या अवरोध कारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी करना।
* '''धारा ३८३''' उद्दापन / जबरन वसूली
* '''धारा ३८४''' ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए दण्ड।
* '''धारा ३८५''' ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी व्यक्ति को क्षति के भय में डालना।
* '''धारा ३८६''' किसी व्यक्ति को मॄत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना।
* '''धारा ३८७''' ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मॄत्यु या घोर आघात के भय में डालना।
* '''धारा ३८८''' मॄत्यु या आजीवन कारावास, आदि से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्दापन
* '''धारा ३८९''' जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का आरोप लगाने के भय में डालना।
* '''धारा ३९०''' लूट।
* '''धारा ३९१''' डकैती
* '''धारा ३९२''' लूट के लिए दण्ड
* '''धारा ३९३''' लूट करने का प्रयत्न।
* '''धारा ३९४''' लूट करने में स्वेच्छापूर्वक किसी को चोट पहुँचाना
* '''धारा ३९५''' डकैती के लिए दण्ड
* '''धारा ३९६''' हत्या सहित डकैती।
* '''धारा ३९७''' मॄत्यु या घोर आघात कारित करने के प्रयत्न के साथ लूट या डकैती।
* '''धारा ३९८''' घातक आयुध से सज्जित होकर लूट या डकैती करने का प्रयत्न।
* '''धारा ३९९''' डकैती करने के लिए तैयारी करना।
* '''धारा ४००''' डाकुओं की टोली का होने के लिए दण्ड
* '''धारा ४०१''' चोरों के गिरोह का होने के लिए दण्ड।
* '''धारा ४०२''' डकैती करने के प्रयोजन से एकत्रित होना।
* '''धारा ४०३''' सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग।
* '''धारा ४०४''' मॄत व्यक्ति की मॄत्यु के समय उसके कब्जे में सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग।
* '''धारा ४०५''' आपराधिक विश्वासघात।
* '''धारा ४०६''' विश्वास का आपराधिक हनन
* '''धारा ४०७''' कार्यवाहक, आदि द्वारा आपराधिक विश्वासघात।
* '''धारा ४०८''' लिपिक या सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
* '''धारा ४०९''' लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
* '''धारा ४१०''' चुराई हुई संपत्ति
* '''धारा ४११''' चुराई हुई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना
* '''धारा ४१२''' ऐसी संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना जो डकैती करने में चुराई गई है।
* '''धारा ४१३''' चुराई हुई संपत्ति का अभ्यासतः व्यापार करना।
* '''धारा ४१४''' चुराई हुई संपत्ति छिपाने में सहायता करना।
* '''धारा ४१५''' छल
* '''धारा ४१६''' प्रतिरूपण द्वारा छल
* '''धारा ४१७''' छल के लिए दण्ड।
* '''धारा ४१८''' इस ज्ञान के साथ छल करना कि उस व्यक्ति को सदोष हानि हो सकती है जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी आबद्ध है
* '''धारा ४१९''' प्रतिरूपण द्वारा छल के लिए दण्ड।
* '''धारा ४२०''' छल करना और बेईमानी से बहुमूल्य वस्तु / संपत्ति देने के लिए प्रेरित करना
* '''धारा ४२१''' लेनदारों में वितरण निवारित करने के लिए संपत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाना
* '''धारा ४२२''' त्रऐंण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी से या कपटपूर्वक निवारित करना
* '''धारा ४२३''' अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, बेईमानी से या कपटपूर्वक निष्पादन
* '''धारा ४२४''' सम्पत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना
* '''धारा ४२५''' रिष्टि / कुचेष्टा।
* '''धारा ४२६''' रिष्टि के लिए दण्ड
* '''धारा ४२७''' कुचेष्टा जिससे पचास रुपए का नुकसान होता है
* '''धारा ४२८''' दस रुपए के मूल्य के जीवजन्तु को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि
* '''धारा ४२९''' किसी मूल्य के ढोर, आदि को या पचास रुपए के मूल्य के किसी जीवजन्तु का वध करने या उसे विकलांग करने आदि द्वारा कुचेष्टा।
* '''धारा ४३०''' सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने द्वारा रिष्टि
* '''धारा ४३१''' लोक सड़क, पुल, नदी या जलसरणी को क्षति पहुंचाकर रिष्टि
* '''धारा ४३२''' लोक जल निकास में नुकसानप्रद जलप्लावन या बाधा कारित करने द्वारा रिष्टि
* '''धारा ४३३''' किसी दीपगॄह या समुद्री-चिह्न को नष्ट करके, हटाकर या कम उपयोगी बनाकर रिष्टि
* '''धारा ४३४''' लोक प्राधिकारी द्वारा लगाए गए भूमि चिह्न के नष्ट करने या हटाने आदि द्वारा रिष्टि
* '''धारा ४३५''' सौ रुपए का या (कॄषि उपज की दशा में) दस रुपए का नुकसान कारित करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा।
* '''धारा ४३६''' गॄह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा।
* '''धारा ४३७''' किसी तल्लायुक्त या बीस टन बोझ वाले जलयान को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के आशय से कुचेष्टा।
* '''धारा ४३८''' धारा ४३७ में वर्णित अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा की गई कुचेष्टा के लिए दण्ड।
* '''धारा ४३९''' चोरी, आदि करने के आशय से जलयान को साशय भूमि या किनारे पर चढ़ा देने के लिए दण्ड।
* '''धारा ४४०''' मॄत्यु या उपहति कारित करने की तैयारी के पश्चात् की गई रिष्टि
* '''धारा ४४१''' आपराधिक अतिचार।
* '''धारा ४४२''' गॄह-अतिचार
* '''धारा ४४३''' प्रच्छन्न गॄह-अतिचार
* '''धारा ४४४''' रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार
* '''धारा ४४५''' गॄह-भेदन।
* '''धारा ४४६''' रात्रौ गॄह-भेदन
* '''धारा ४४७''' आपराधिक अतिचार के लिए दण्ड।
* '''धारा ४४८''' गॄह-अतिचार के लिए दण्ड।
* '''धारा ४४९''' मॄत्यु से दंडनीय अपराध को रोकने के लिए गॄह-अतिचार
* '''धारा ४५०''' अपजीवन कारावास से दंडनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार
* '''धारा ४५१''' कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार।
* '''धारा ४५२''' बिना अनुमति घर में घुसना, चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी, हमला या गलत तरीके से दबाव बनाना
* '''धारा ४५३''' प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन के लिए दंड
* '''धारा ४५४''' कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना।
* '''धारा ४५५''' उपहति, हमले या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन
* '''धारा ४५६''' रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन के लिए दण्ड।
* '''धारा ४५७''' कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना।
* '''धारा ४५८''' क्षति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के करके रात में गॄह-अतिचार।
* '''धारा ४५९''' प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करते समय घोर उपहति कारित हो
* '''धारा ४६०''' रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या रात्रौ गॄह-भेदन में संयुक्ततः सम्पॄक्त समस्त व्यक्ति दंडनीय हैं, जबकि उनमें से एक द्वारा मॄत्यु या घोर उपहति कारित हो
* '''धारा ४६१''' ऐसे पात्र को, जिसमें संपत्ति है, बेईमानी से तोड़कर खोलना
* '''धारा ४६२''' उसी अपराध के लिए दंड, जब कि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जिसे अभिरक्षा न्यस्त की गई है।
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| अध्याय १८
| दस्तावेज तथा सम्पत्ति-चिह्नों से सम्बन्धित अपराध
|
* '''धारा ४६३''' कूटरचना
* '''धारा ४६४''' मिथ्या दस्तावेज रचना
* '''धारा ४६५''' कूटरचना के लिए दण्ड।
* '''धारा ४६६''' न्यायालय के अभिलेख की या लोक रजिस्टर आदि की कूटरचना
* '''धारा ४६७''' मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत, इत्यादि की कूटरचना
* '''धारा ४६८''' छल के प्रयोजन से कूटरचना
* '''धारा ४६९''' ख्याति को अपहानि पहुंचाने के आशय से कूटरचन्न
* '''धारा ४७०''' कूटरचित २[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेखट
* '''धारा ४७१''' कूटरचित दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख का असली के रूप में उपयोग में लाना
* '''धारा ४७२''' धारा ४६७ के अधीन दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकॄत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना
* '''धारा ४७३''' अन्यथा दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकॄत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना
* '''धारा ४७४''' धारा ४६६ या ४६७ में वर्णित दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए और उसे असली के रूप में उपयोग में लाने का आशय रखते हुए, कब्जे में रखना
* '''धारा ४७५''' धारा ४६७ में वर्णित दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकॄति बनाना या कूटकॄत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना
* '''धारा ४७६''' धारा ४६७ में वर्णित दस्तावेजों से भिन्न दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकॄति बनाना या कूटकॄत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना
* '''धारा ४७७''' विल, दत्तकग्रहण प्राधिकार-पत्र या मूल्यवान प्रतिभूति को कपटपूर्वक रदद्, नष्ट, आदि करना
* '''धारा ४७७ क''' लेखा का मिथ्याकरण
* '''धारा ४७८''' व्यापार चिह्न
* '''धारा ४७९''' सम्पत्ति-चिह्न
* '''धारा ४८०''' मिथ्या व्यापार चिह्न का प्रयोग किया जाना
* '''धारा ४८१''' मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग में लाना
* '''धारा ४८२''' मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग करने के लिए दण्ड।
* '''धारा ४८३''' अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पत्ति चिह्न का कूटकरण
* '''धारा ४८४''' लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए चिह्न का कूटकरण
* '''धारा ४८५''' सम्पत्ति-चिह्न के कूटकरण के लिए कोई उपकरण बनाना या उस पर कब्जा
* '''धारा ४८६''' कूटकॄत सम्पत्ति-चिह्न से चिन्हित माल का विक्रय
* '''धारा ४८७''' किसी ऐसे पात्र के ऊपर मिथ्या चिह्न बनाना जिसमें माल रखा है।
* '''धारा ४८८''' किसी ऐसे मिथ्या चिह्न को उपयोग में लाने के लिए दण्ड
* '''धारा ४८९''' क्षति कारित करने के आशय से सम्पत्ति-चिह्न को बिगाड़ना
* '''धारा ४८९ क''' करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण
* '''धारा ४८९ ख''' कूटरचित या कूटकॄत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना
* '''धारा ४८९ ग''' कूटरचित या कूटकॄत करेन्सी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना
* '''धारा ४८९ घ''' करेन्सी नोटों या बैंक नोटों की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या कब्जे में रखना
* '''धारा ४८९ ङ''' करेन्सी नोटों या बैंक नोटों से सदृश्य रखने वाली दस्तावेजों की रचना या उपयोग
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| अध्याय १९
| सेवा-संविदा का आपराधिक भंजन
|
* '''धारा ४९०''' समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंग
* '''धारा ४९१''' असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंग
* '''धारा ४९२''' दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहां सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है।
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| अध्याय २०
| विवाह से सम्बन्धित अपराध
|
* '''धारा ४९३''' विधिपूर्ण विवाह का धोखे से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास।
* '''धारा ४९४''' पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना
* '''धारा ४९५''' वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ आगामी विवाह किया जाता है।
* '''धारा ४९६''' विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना।
* '''धारा ४९७''' व्यभिचार
* '''धारा ४९८''' विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या निरुद्ध रखना
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| अध्याय २० क
| पति या पति के सम्बन्धियों द्वारा निर्दयता
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* '''धारा ४९८ क''' किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना
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| अध्याय २१
| [[मानहानि]]
|
* '''धारा ४९९''' मानहानि
* '''धारा ५००''' मानहानि के लिए दण्ड।
* '''धारा ५०१''' मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना।
* '''धारा ५०२''' मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री का बेचना।
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| अध्याय २२
| आपराधिक अभित्रास, अपमान एवं रिष्टिकरण
|
* '''धारा ५०३''' आपराधिक अभित्रास।
* '''धारा ५०४''' शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना
* '''धारा ५०५''' लोक रिष्टिकारक वक्तव्य।
* '''धारा ५०६''' धमकाना
* '''धारा ५०७''' अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास।
* '''धारा ५०८''' व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा कराया गया कार्य
* '''धारा ५०९''' शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित है
* '''धारा ५१०''' शराबी व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में दुराचार।
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| अध्याय २३
| आपराध करने के प्रयत्न
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* '''धारा ५११''' आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने का प्रयत्न करने के लिए दण्ड
|}