गुमनाम सदस्य
सम्पादन सारांश नहीं है
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो (बॉट: आंशिक वर्तनी सुधार।) |
No edit summary |
||
उनके पिता, माँ और तीन भाई [[१९७५]] के तख्तापलट में मारे गए थे। उस हादसे के बाद भी उन्हें राजनीतिक सफलता आसानी से नहीं मिली। उन्होंने ८० के दशक में बांग्लादेश में [[जनरल इरशाद]] के सैनिक शासन के ख़िलाफ़ जो मुहिम छेड़ी, उसके दौरान उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। जनरल इरशाद के बाद भी उन्हें जनरल की पत्नी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की [[ख़ालिदा ज़िया]] से कड़ी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ कड़वी और लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी।
[[१९९६]] में शेख हसीना ने चुनाव जीता और कई वर्षो तक देश का शासन चलाया। उसके बाद उन्हें विपक्ष में भी बैठना पड़ा। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उन पर एक बार जान लेवा हमला भी हुआ जिसमें वे बाल बाल बच गईं लेकिन उस हमले में २० से भी ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। एक बार फिर बांग्लादेश राजनीति के गहरे भँवर में फंस गया और देश की बागडोर सेना-समर्थित सरकार ने संभाल ली। इस सरकार ने शेख हसीना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और उनका ज्यादातर वक्त हिरासत में ही गुज़रा। इस बीच वे अपने इलाज के लिए [[अमरीका]] भी गईं और ये अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि वे जेल से बचने के लिए शायद वापस लौट कर ही ना आएँ। लेकिन वे वापस लौटीं और दो साल के सैनिक शासन समेत सात साल बाद [[२००८]] में हुए संसदीय चुनावों में विजय प्राप्त की। उनहोने कडृी मेहनत से अपनी पार्टी का साथ नहींं
== बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.hindi.oneindia.in/news/2008/12/31/hasina-profile-ac.html शेख हसीना: संघर्ष भरा राजनीतिक सफ़र]
|