"आर के नारायण": अवतरणों में अंतर

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=== कहानी के क्षेत्र में ===
एक कहानीकार के रूप में नारायण का प्रमुख स्वर कोमल व्यंग्य का है। व्यंग्य विपर्यय द्वारा लेखक मानवीय मनोविज्ञान पर प्रकाश डालते रहते हैं। कुछ कहानियां रेखाचित्र के रूप में भी है और वे नारायण के सनकी पात्रों की समझ को पकड़ने की क्षमता से भरी हुई हैं। आर के नारायण की प्रायः सभी कहानियां एक जैसी चुस्त-दुरुस्त तथा ऐसी शैली में कही गयी है जो ऊपर से सपाट सी लगती है। कहानी में वे किसी क्रांतिकारी शैली को नहीं अपनाते हैं। सहज पठनीयता उनकी कहानी का अतिरिक्त वैशिष्ट्य है। इसके बावजूद उत्तम कहानियों में भी व्यंग्य के एक सामान्य मुद्रा से ऊपर उठकर एक सार्थक जीवन दृष्टि के रूप में विकसित न हो पाने के कारण<ref>भारतीय अंग्रेजी साहित्य का इतिहास, पूर्ववत्, पृ०-187-188.</ref> लेखक का गाइड और मालगुडी का आदमखोर वाला उपन्यासकार रूप उनके कहानीकार रूप पर भारी पड़ता है।
 
== प्रकाशित पुस्तकें ==