"दीर्घवृत्त": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
No edit summary
पंक्ति 1:
[[चित्र:Elipse.svg|thumb|right|300px|कार्तीय निर्देशांक पद्धति में '''दीर्घवृत्त''' कार्तीय निर्देशांक system मे .]]
[[गणित]] मेमें '''दीर्घवृत्त''' एक एसाऐसा [[शंकु-परिच्छेद|शांकव]] होता है जिसकी उत्केन्द्रता इकाई से कम होती है। एक अन्य परिभाषा के अनुसार, दीर्घवृत्त किसीऐसे एसे बिन्दुबिन्दुओं का [[बिंदुपथ|बिन्दुपथ]] है जिसकीजिनकी दो निश्चित बिन्दुओं से दूरी का योग सदैव अचर रहता है। इन निश्चित बिन्दुओं को दीर्घवृत्त की नाभियाँ (en:Focus) कहते हैं। माना जाता है कि [[पृथ्वी]] सहित कई [[ग्रह]] [[सूर्य]] के चारों ओर एक दीर्घवृत्तीय कक्षा परमें घूमते हैं और इस दीर्घवृत्त की एक नाभि पर सूरजसूर्य अवस्थित होता है।
[[चित्र:Ellipse-def0.svg|अंगूठाकार|दीर्घवृत्त]]
इस प्रकार, यह एक [[वृत्त]] का सामान्यीकृत रूप होता है। वृत्त एक विशेष प्रकार का दीर्घवृत्त होता है जिसमें दोनों नाभियाँ एक ही स्थान पर होती हैं। एक दीर्घवृत्त का आकार इसकी उत्केन्द्रता से दर्शाया जाता है, जिसका मान दीर्घवृत्त के लिए 0 से लेकर 1 के मध्य होता है। यदि किसी दीर्घवृत्त की उत्केन्द्रता 0 हो तो वह दीर्घवृत्त, एक वृत्त होता है।
 
== कार्तीय निर्देशांक पद्धति में दीर्घवृत्त ==
'''समीकरण:'''
 
दीर्घवृत्त का केंद्र मूलबिंदु, मुख्याक्ष x-अक्ष, तथा नाभियाँ <math>{\displaystyle F_{1}=(c,0),\ F_{2}=(-c,0)}</math> तथा शीर्ष <math>{\displaystyle V_{1}=(a,0),\ V_{2}=(-a,0)}.</math>
[[चित्र:Ellipse-conic.svg|अंगूठाकार|एक दीर्घवृत्त (लाल रंग) जो एक शंकु व एक आनत समतल के प्रतिच्छेदन से प्राप्त हुआ]]
तब दीर्घवृत्त पर किसी भी बिन्दु (x,y) के लिए दीर्घवृत्त का समीकरण
 
<math>{\displaystyle {\frac {x^{2}}{a^{2}}}+{\frac {y^{2}}{b^{2}}}=1}</math>
 
या <math>{\displaystyle y=\pm {\frac {b}{a}}{\sqrt {a^{2}-x^{2}}}.}</math>
[[चित्र:Ellipse-param.svg|अंगूठाकार|a: अर्द्ध दीर्घाक्षb: अर्द्ध लघ्वाक्ष
 
c: नाभीय दूरी
 
p: अर्द्ध नाभिलम्ब]]
यहाँ <math>{\displaystyle a,\;b}</math> क्रमशः अर्द्ध दीर्घाक्ष तथा अर्द्ध लघ्वाक्ष कहलाते हैं।
 
दीर्घवृत्त की उत्केन्द्रता के लिए सूत्र:
 
<math>{\displaystyle 1-e^{2}={\tfrac {b^{2}}{a^{2}}},{\text{ and }}\ p={\tfrac {b^{2}}{a}}}, </math>
 
यहाँ <math>e</math> उत्केन्द्रता है।
 
== ज्यामितीय विशेषताएँ ==
दीर्घवित्तदीर्घवृत्त के दो अक्षों में से बड़े को प्रधान अक्ष कह सकते हैं। दोनों नाभि प्रधान अक्ष पर अवस्थित होते हैं और दीर्घवृत्त पर स्थित किसी भी बिन्दु की इन दोनों नाभियों से दूरी का योग इस प्रधान अक्ष की लंबाई के बराबर यानि हमेशा नियत होता है।
 
=== दीर्घवृत्त का क्षेत्रफल ===