"आर के नारायण": अवतरणों में अंतर

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=== विस्तार-वैविध्य ===
उपरिवर्णित औपन्यासिक बृहत्त्रयी के बीच प्रकाशित '[[महात्मा का इंतजार]]' (वेटिंग फॉर द महात्मा) [1955] में स्पष्ट रूप से तथा बाद में प्रकाशित '[[द वेंडर ऑफ़ स्वीट्स]]' (1967) की पृष्ठभूमि में गांधीवादी संघर्ष है। इसकेमहात्मा का इंतजार (वेटिंग फॉर द महात्मा) इस बात का अध्ययन है कि गांधीवादी क्रांति की भारतीय जन साधारण पर कैसी प्रतिक्रिया हुई। राजनीतिक प्रचार से दूर एक मुकम्मल सर्जनात्मक कलाकृति के रूप में यह अध्ययन संपन्न हुआ है। 'द वेंडर ऑफ़ स्वीट्स' के 9 साल बाद 1976 में '[[द पेंटर ऑफ़ साइन्ज़]]' का प्रकाशन हुआ। इन उपन्यासों को पढ़ते हुए लेखकीय क्षमता के प्रदर्शन के बावजूद लगता है कि लेखक का 'गाइड' एवं 'मालगुडी का आदमखोर' वाला स्वर्ण युग अब उतार पर आ गया है।<ref>भारतीय अंग्रेजी साहित्य का इतिहास, पूर्ववत्, पृ०-171.</ref>
 
=== कहानी के क्षेत्र में ===