"रविशङ्कर महाराज": अवतरणों में अंतर
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'''रविशङ्कर महाराज''' [[गुजरात]] राज्य के [[खेड़ा जिला|खेडा जिले]] के समाजसेवी थे।
==जीवन==
रविशङ्कर व्यास का जन्म २५ फरवरी १८८४ को, राधू गांव में (हालमें भारत के गुजरात राज्य के खेड़ा जिले में) [[महाशिवरात्रि]] के दिन, पिताम्बर शिवराम व्यास
वह आर्य समाज से प्रभावित थे। वह १९१५ में महात्मा गांधी से मिले और उनकी आजादी और सामाजिक सुधार के कार्यो में सम्मिलित हो गए। वह १९२० और १९३० के दशक में गुजरात में राष्ट्रवादी विद्रोहियों के मुख्य आयोजक, दरबार गोपालदास देसाई, [[नरहरि परीख]] और मोहनलाल पंड्या के साथ गांधी और [[वल्लभ भाई पटेल|सरदार वल्लभभाई पटेल]] के सबसे शुरुआती और निकटतम सहयोगियों में से एक थे। उन्होंने तटीय एवं केंद्रीय गुजरात के बारैया और पाटनवाडिया जातियों के पुनर्वास के लिए सालों तक काम किया था। उन्होंने १९२० में सुनव गांव में राष्ट्रीय शाला (नेशनल स्कूल) की स्थापना की। उन्होंने पत्नी की इच्छा के विरुद्ध पैतृक संपत्ति पर अपने अधिकार छोड़े और १९२१ में [[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन|भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]] में सम्मिलित हो गए। उन्होंने १९२३ में बोरसद सत्याग्रह में भाग लिया और हदिया टेक्ष का विरोध किया। उन्होंने १९२६ में बारडोली सत्याग्रह में भाग लिया और उन्हे छह महीने तक ब्रिटिश प्राधिकरण द्वारा कैद किया गया। उन्होंने १९२७ में बाढ़ के राहत कार्यों में भाग लिया जिसमें उन्होंने खाति प्राप्त की। वह १९३० में नमक सत्याग्रह के लिए दाण्डि कुच के लिए गांधी जी से जुड़ गए और दो साल तक कैद में रहें। १९४२ में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया और [[अहमदाबाद]] में सांप्रदायिक हिंसा को शांत करने का भी प्रयत्न किया।
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