"मुज़फ्फरपुर": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
प्राचीन काल में मुजफ्फरपुर [[मिथिला]] ([[तिरहुत]]) राज्य का अंग था। बाद में मिथिला में [[वज्जि]] गणराज्य की स्थापना हुई। तीसरी सदी में भारत आए चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] के यात्रा विवरणों से यह पता चलता है कि यह क्षेत्र काफी समय तक महाराजा [[हर्षवर्धन]] के शासन में रहा। उनकी मृत्यु के बाद स्थानीय क्षत्रपों का कुछ समय शासन रहा तथा आठवीं सदी के बाद यहाँ [[बंगाल]] के [[पाल वंश]] के शासकों का शासन शुरु हुआ जो 1019 तक जारी रहा। [[तिरहुत]] पर लगभग 11 वीं सदी में [[चेदि वंश]] का भी कुछ समय शासन रहा। सन 1211 से 1226 बीच गैसुद्दीन एवाज़ तिरहुत का पहला मुसलमान शासक बना। [[चम्पारण]] के सिमराँव वंश के शासक हरसिंह देव के समय 1323 ईस्वी में [[तुग़लक वंश]] के शासक [[गयासुद्दीन तुग़लक]] ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया लेकिन उसने सत्ता मिथिला के शासक कामेश्वर ठाकुर को सौंप दी। चौदहवीं सदी के अंत में तिरहुत समेत पूरे उत्तरी [[बिहार]] का नियंत्रण [[जौनपुर जिला|जौनपुर]] के राजाओं के हाथ में चला गया जो तबतक जारी रहा जबतक [[दिल्ली सल्तनत]] के [[सिकन्दर लोदी]] ने जौनपुर के शासकों को हराकर अपना शासन स्थापित नहीं किया। इसके बाद विभिन्न [[मुग़ल]] शासकों और बंगाल के नवाबों के प्रतिनिधि इस क्षेत्र का शासन चलाते रहे। पठान सरदार दाऊद खान को हराने के बाद मुगलों ने नए बिहार प्रांत का गठन किया जिसमें तिरहुत को शामिल कर लिया गया। <br /> 1764 में बक्सर की लडाई के बाद यह क्षेत्र सीधे तौर पर अंग्रेजी हुकूमत के अधीन हो गया। सन [[1875]] में प्रशासनिक सुविधा के लिये [[तिरहुत]] का गठन कर मुजफ्फरपुर जिला बनाया गया। मुजफ्फरपुर ने [[भारतीय स्वाधीनता आंदोलन]] में अत्यंत महत्वपूरण भूमिका निभाई है। [[महात्मा गाँधी]] की दो यात्राओं ने इस क्षेत्र के लोगों में स्वाधीनता के चाह की नयी जान फूँकी थी। [[खुदीराम बोस]] तथा [[जुब्बा साहनी]] जैसे अनेक क्रांतिकारियों की यह कर्मभूमि रही है। 1930 के नमक आन्दोलन से लेकर 1942 के भारत छोडो आन्दोलन के समय तक यहाँ के क्रांतिकारियों के कदम लगातार आगे बढ़ते रहे। <br /> मुजफ्फरपुर का वर्तमान नाम ब्रिटिस काल के राजस्व अधिकारी मुजफ्फर खान के नाम पर पड़ा है। 1972 तक मुजफ्फरपुर जिले में [[शिवहर]], [[सीतामढी]] तथा [[वैशाली जिला]] शामिल था। मुजफ्फरपुर को इस्लामी और [[हिन्दू]] सभ्यताओं की मिलन स्थली के रूप में भी देखा जाता रहा है। दोनों सभ्यताओं के रंग यहाँ गहरे मिले हुये हैं और यही इस क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान भी है।
 
== भूगोल ==