"चाँदनी चौक": अवतरणों में अंतर

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| name = Chandniचाँदनी Chowkचौक
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== इतिहास ==
बाजार का इतिहास राजधानी [[शाहजहानाबाद]] की स्थापना से शुरू होता है, जब सम्राट [[शाहजहां]] ने अपनी नई राजधानी के बगल में [[यमुना नदी]] के तट पर [[लाल किलाकिले]] की स्थापना की थी।
 
चांदनी चौक, याको चांदनी१६५० स्क्वायर, 1650 सीईईस्वी में शाहजहां की पसंदीदा बेटीपुत्री, राजकुमारी जहाआआ[[जहाँआरा राबेग़म|जहांआरा बेगम]] ने डिजाइन और स्थापित किया था। १,५६० दुकानों वाला यह बाजार मूल रूप से 1,560४० दुकानें,गज बाजारचौड़ा 40और १,५२० गज कीलम्बा दूरीथा।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books/about/Women_in_the_Medieval_Islamic_World.html?id=jDXdyMCx4xYC&source=kp_cover|title=Women in the medieval Islamic world पर: 1Power,520 गजpatronage, कीand दूरीpiety|last=Blake|first=Stephen परP.|publisher=St. था।Martin’s [3]Press|year=1998|isbn=0312224516|location=New परिसरYork|pages=420|chapter=Contributors केto केंद्रthe मेंurban एकLandscape: पूलWomen कीbuilders उपस्थितिin सेSafavid Isfahan and Mughal Shahjahanabad}}</ref> बाजार कोआकृति स्क्वायरमें केचौकोर रूपथा, तथा इसके केंद्र में आकारएक दियाताल गयाउपस्थित था।था, पूलजो चांदनी रात में shimmeredचमकता था, एकऔर सुविधाइसी जोकारण शायदबाजार इसकेका नाम केचांदनी लिएचौक जिम्मेदारपड़ा था।<ref>http://www.chillibreeze.com/articles/ACulinaryCruise.asp</ref> [4]सभी दुकानों को मूलउस रूप सेसमय आधे चंद्रमा के आकार के पैटर्न में बनाया गया था, जो अब खोविलुप्त हो गया था। यह बाजार अपने चांदी के व्यापारियों के लिए प्रसिद्ध था, जिसनेजिस कारण इसे "सिल्वर स्ट्रीट" [5] के नाम परसे भी योगदानपहचाना दियागया हैहै।<ref>I. क्योंकिMohan: चांदी''Delhi, कोDevelopment हिंदीand मेंChange'', चंडीAPH कहा जाताPublishing, है2000, जिसमें[https://books.google.de/books?id=vLiWb5o3414C थोड़ीChapter भिन्नता8, होतीp. है जिसमें चांदनी होती है।33-35]</ref>
 
चांदनी चौक एक समय में भारत का सबसे बड़ा बाजार था।<ref>http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00routesdata/1600_1699/shahjahanabad/chandnichauk/chandnichauk.html</ref> मुगल शाही जुलूस चांदनी चौक से गुजरते थे। १९०३ में दिल्ली दरबार के आयोजन के समय इस परंपरा को पुनर्स्थापित किया गया था। १८६३ में ब्रिटिश सरकार द्वारा चौक के पास दिल्ली टाउन हॉल बनाया गया था। चौक के तालाब को १९५० के दशक तक एक घंटाघर से प्रतिस्थापित कर दिया गया था। इसी कारण बाजार का केंद्र अभी भी घंटाघर के नाम से जाना जाता है।
 
== सन्दर्भ ==