"चाँदनी चौक": अवतरणों में अंतर
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'''चाँदनी चौक''' [[दिल्ली]] का सबसे पुराना एवं सबसे व्यस्त क्षेत्र है। यह पुरानी दिल्ली के सबसे व्यस्त बाजारों में से एक है। चांदनी चौक पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक स्थित है। लाल किला स्मारक बाजार के भीतर स्थित है। यह १७ वीं शताब्दी में भारत के मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनाया गया था, और इसका डिजाइन उनकी बेटी जहांआरा द्वारा तैयार किया गया था। चांद की रोशनी को प्रतिबिंबित करने के लिए बाजार को नहरों द्वारा विभाजित किया गया था और यह भारत के सबसे बड़े थोक बाजारों में से एक बना हुआ है।<ref>{{cite news|title=Delhi - 100 years as the Capital|url=http://www.hindu.com/yw/2011/02/01/stories/2011020150210200.htm|publisher=[[The Hindu]]|date=1 February 2011}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.citypincode.in/PinCodeOf.jsp?area=Chandni%20Chowk%20&district=North%20Delhi |title=Pin Code of Chandni Chowk Delhi |publisher=citypincode.in |date= |accessdate=9 March 2014}}</ref>
== स्थिति तथा विस्तार ==
[[चित्र:Minar view.jpg|अंगूठाकार|बाएँ|जमा मस्जिद से चांदनी चौक क्षेत्र का दृश्य<br />इसी बाजार के नाम पर आस पास के क्षेत्र को भी चांदनी चौक कहा जाता है।]]
चांदनी चौक पुरानी दिल्ली के मध्य में [[लाल किले]] के लाहौरी गेट से शुरू होकर [[फतेहपुरी मस्जिद]] तक विस्तृत है। इसी बाजार के नाम पर आस पास के क्षेत्र को भी चांदनी चौक कहा जाता है। एक नहर किसी समय में सड़क के बीच में बहती थी, और चौक के तालाब में जल भरा करती थी। आरंभिक कल में इसे तीन खंडों में बांटा गया था:<ref>Encyclopaedic Survey of Islamic Culture: Growth & Development
By Mohamed Taher, Anmol Publications, 1998</ref>
* लाहोरी गेट से चौक कोटवली (गुरुद्वारा शीश गंज के पास): शाही निवास के निकट, यह खंड उर्दू बाजार या शिविर बाजार भी कहा जाता था। उर्दू भाषा को इस बाजार से अपना नाम मिला। [[मिर्ज़ा ग़ालिब|गालिब]] ने [[१८५७ का विद्रोह|१८५७ के भारतीय विद्रोह]] और इसके बाद के विद्रोहों के दौरान इस बाजार के विनाश का उल्लेख किया है।
* चौक कोटवली से चांदनी चौक: चांदनी चौक शब्द मूल रूप से इसी खंड को संदर्भित करता है, जिसमें एक तालाब स्थित था। इस खंड को मूल रूप से जोहरी बाजार कहा जाता था।
* चांदनी चौक से फतेहपुरी मस्जिद: इसे फतेहपुरी बाजार कहा जाता था।
== इतिहास ==
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चांदनी चौक एक समय में भारत का सबसे बड़ा बाजार था।<ref>http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00routesdata/1600_1699/shahjahanabad/chandnichauk/chandnichauk.html</ref> मुगल शाही जुलूस चांदनी चौक से गुजरते थे। १९०३ में [[दिल्ली दरबार]] के आयोजन के समय इस परंपरा को पुनर्स्थापित किया गया था। १८६३ में [[ब्रिटिश सरकार]] द्वारा चौक के पास दिल्ली टाउन हॉल बनाया गया था। चौक के तालाब को १९५० के दशक तक एक घंटाघर से प्रतिस्थापित कर दिया गया था। इसी कारण बाजार का केंद्र अभी भी घंटाघर के नाम से जाना जाता है।
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|caption = १८४३ में चांदनी चौक पर सम्राट [[बहादुर शाह द्वितीय]] की जुलूस
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== प्रचलित लोकसंस्कृति में ==
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