"चक्रवृद्धि ब्याज": अवतरणों में अंतर

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जब समय-समय पर अभी तक संचित हुए [[ब्याज]] को [[मूलधन]] में मिलाकर इस [[मिश्रधन]] पर ब्याज की गणना की जाती है तो इसे '''चक्रवृद्धि ब्याज''' कहते हैं। जिस अवधि के बाद ब्याज की गणना करके उसे मूलधन में जोड़ा जाता है, उसे '''चक्रवृद्धि अवधि''' (compounding period) कहते हैं।
जोड़ा जाता है, उसे '''चक्रवृद्धि अवधि''' (compounding period) कहते हैं।
 
इसके विपरीत [[साधारण ब्याज]] उस प्रकार की ब्याज गणना का नाम है जिसमें मूलधन (जिस राशि पर ब्याज की गणना की जाती है) अपरिवर्तित रहता है। कुछ छोटे-मोटे मामलों को छोड़कर व्यावहारिक जीवन के प्रायः सभी क्षेत्रों में चक्रवृद्धि ब्याज ही लिया/दिया जाता है।
 
== ब्याज का गणित ==